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विक्रम संवत: मैं हिंदू हूं मगर 'हिंदू नववर्ष' मेरा नववर्ष नहीं

चैत्र का महीना भारतीय पंचांग का पहला महीना है, मगर ये सिर्फ यही हिंदू नववर्ष नहीं

Updated On: Mar 18, 2018 05:21 PM IST

Animesh Mukharjee Animesh Mukharjee

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विक्रम संवत: मैं हिंदू हूं मगर 'हिंदू नववर्ष' मेरा नववर्ष नहीं

18 मार्च 2018 को विक्रम संवत का नया साल शुरू हो रहा है. इसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी कहते हैं. गुडीपड़वा, उगाडी या चेटिचंड, इस दिन कई त्योहार एक साथ मनाए जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से विक्रम संवत की एक नई पहचान बनाई गई है. कहा जाता है कि ये 'हिंदू नववर्ष' है. इसे गर्व से मनाएं और ईसाई नववर्ष न मनाएं.

सिर्फ इस नववर्ष को हिंदू नववर्ष नहीं कह सकते

विक्रम संवत से भारतीय पंचांग शुरू होता है. चैत्र पहला महीना है. जिसमें लोग और मौसम चेत जाते हैं. बसंत का खुमार उतरता है. गेहूं की बालियां लहलहाती हैं. इसके बाद वैशाख आता है, फिर जेठ की जेष्ठ यानि बड़ी वाली गर्मी पड़ती है. इसे ऐसे भी कह सकते हैं. कि आम के पेड़ों पर बसंत यानि फाल्गुन में बौर आते हैं, चैत्र में वो चेत जाते हैं, और जेठ में वो पक कर बड़े (जेष्ठ) हो जाते हैं.

इसके अलावा भी चैत्र बहुत कुछ है. चैती लोक संगीत का एक बेहद खूबसूरत अंग है. चैत्र की शुरुआत नवरात्रि की शुरुआत है. शक्ति की उपासना की शुरुआत है. लेकिन इसे 'हिंदू नववर्ष' कहना थोड़ा सा संशय भरा है. बंगाल में नववर्ष पहली बैशाख को मनाया जाता है. बिना किसी राजनीतिक आग्रह के वहां तमाम सांस्कृतिक आयोजन होते हैं.

पहली बैशाख (बांग्ला नववर्ष) का बांग्लादेश मे उत्सव

पहली बैशाख (बांग्ला नववर्ष) का बांग्लादेश मे उत्सव

बैशाखी पंजाब में नए साल का उत्सव है. केरल का नववर्ष चिंगमास (अगस्त-सितंबर) में मनाया जाता है. इसे भी केरल वाले काफी धूम-धाम से मनाते हैं. आसाम में बिहू को नए साल की तरह मनाते हैं. इसी तरह व्यापारी अपना नया साल दीपावली के बाद से मानते हैं. यहां तक कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भी उस दिन मुहुर्त ट्रेडिंग कर के बंद कर दिया जाता है. क्या ये सारे नववर्ष अ-हिंदू नववर्ष हैं?

दरअसल नया साल मनाने की परंपरा धर्म से ज्यादा रोजगार से जुड़ी है. कहीं ये गेहुं की खेती से सीधे जुड़ता है. जहां ये चावल की खेती से जुड़ा हुआ है वहां इसे थोड़े बाद के महीनों में मनाते हैं. दीपावली खरीददारी के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा समय है. व्यापारी वर्ग के लिए ये समय के हिसाब से नया उत्साह लेकर आता है. अगर धर्म के नाम पर इन सबको एक रंग में रंगने की कोशिश की जाए तो समस्याएं बढ़ेंगी.

क्या ईसाई कैलेंडर बुरा है

ग्रेगेरियन कैलेंडर को हम ईसाई कैलेंडर कह देते हैं. इसे पूरी दुनिया में मानक बने हुए लगभग 100 साल ही हुए हैं. इससे पहले सोवियत संघ का दिसंबर अमेरिका के दिसंबर से अलग पड़ता था. लेकिन आज ये दुनिया का सबसे मानक कैलेंडर है. भारतीय कैलेंडर चाहे जितना उत्साहित करे, हर साल तारीख अलग-अलग पड़ना व्यवहारिक रूप से अच्छा नहीं है. आपकी तनख्वाह हर महीने की एक तारीख को आजाए तो ठीक, कभी 25 दिन बाद कभी 20 दिन पहले आए तो समस्या होगी.

असम में बिहु

असम में बिहु

भारत में हर त्योहार के लिए अलग-अलग भाव है. होली उत्तर भारत का सबसे बड़ा त्योहार है. कर्नाटक में इस दिन शायद छुट्टी भी न हो. पंजाब में लोहड़ी का इंतजार रहता है तो बिहार में छठ के बराबर कुछ नहीं. इन परंपराओं में कई कारणों से फर्क पड़ता है. फिल्मों की देखादेखी करवाचौथ देश के कई हिस्सों में मनाया जाने लगा. रक्षाबंधन पूर्वी भारत में प्रसिद्ध हो गया. ऐसे कई और उदाहरण हैं.

कुल मिलाकर देश में विविधताएं हैं, एक धर्म के अंदर ही विविधताएं हैं. हो सकता है आपका नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हो, आपके सिख मित्र का बैशाखी को, केरल वाले दोस्त का अगस्त में. इसलिए चैत्र प्रतिपदा को नववर्ष मनाकर आप न ज्यादा हिंदू हो जाएंगे, न वो कम. चैत्रशुक्ल प्रतिपदा, चेटिचंड और नवरात्र की शुभकामनाओं सहित, शुभ विक्रमसंवत.

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