किसी डॉक्टर को बताइए कि आप दूध नहीं पीते या दूध का कोई प्रोडक्ट नहीं लेते. आपसे तुरंत सवाल किया जाएगा कि ‘आप कैल्शियम कहां से प्राप्त करते हैं? आप आज बिना दूध से बने प्रोडक्ट खाए-पिए बिना रह सकते हैं, लेकिन बाद में आपको ऑस्टियोपोरोसिस के दौर से गुजरना पड़ेगा.’
अगर ऐसा नहीं है तो निश्चित रूप से ‘आप थोड़े अलग किस्म के व्यक्ति हैं, लेकिन यह जरूर तय कर लीजिए कि आपके बच्चे उचित मात्रा में दूध लें.’ दूध पीने वाले ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होते हैं, इसके कोई ठोस प्रमाण या आधार तो नहीं हैं लेकिन इस हकीकत से कई लोगों की सोच जरूर बदल जाएगी.
कारण यह है कि उन्होंने भारत के मेडिकल कॉलेजों में या महज 4 घंटे चलने वाले अमेरिका के मेडिकल कॉलेजों में न्यूट्रीशन के बारे में गहराई से जाना ही नहीं, इसलिए उन्हें भोजन और आहार के बारे में जानकारी न होने की शर्मिंदगी भी नहीं होती. वह डॉक्टर तो हैं, लेकिन उन्होंने इसके बारे में अपनी जानकारी उन्हीं लोगों से पाया है, जिनसे हमें और आपको, और जिन पर हम भरोसा करते रहे हैं, जैसे- आया, दादी-नानी, पड़ोसी, शिक्षक, मां जो आज भी सबसे अच्छी जानकारी रखते हैं.
तो अब हम कैल्शियम के बारे में जानते हैं कि आपको अपने स्वस्थ शरीर के लिए कितने कैल्शियम की जरूरत है, और वह आपको कहां से मिलेगा.
मांसाहारी को शाकाहारी से अधिक कैल्शियम लेने की जरुरत
मानव शरीर को प्रतिदिन कितने कैल्शियम की जरूरत होती है? अगर आप मांसाहारी हैं, तो आपको शाकाहारी से ज्यादा कैल्शियम लेना पड़ेगा क्योंकि पशु अवशेष में सल्फर की मात्रा अधिक होती है, जिसमें मौजूद एमीनो एसिड्स शरीर के कैल्शियम को नष्ट करता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक एक शाकाहारी व्यक्ति को प्रतिदिन 400-500 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है, जबकि नॉन वेज खाने वाले को 800 मिलीग्राम की आवश्यकता पड़ती है. 11 से 24 साल के किशोरों और युवकों को 1200 मिलीग्राम की जरूरत होती है. डब्लूएचओ का औसत ही मानक माना जाता है, जबकि अमेरिका का राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान अपने नागरिकों को 1500 मिलीग्राम और कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश अपने नागरिकों को हर दिन 700 मिलीग्राम कैल्शियम की सिफारिश करते हैं.
डब्लूएचओ इस असमानता पर क्या कहता है? ‘विकाशशील देशों की आबादी में हड्डी टूटने का उतना रिस्क नहीं है, जितना कि विकसित देशों में. बावजूद इसके, कि उनका शारीरिक वजन कम होता है, और वह कैल्शियम की कम मात्रा लेते है. शायद इसका कारण यह हो सकता कि वह कम धूम्रपान करते हैं, या इसलिये कि वह कम शराब पीते हैं और शारीरिक मेहनत अधिक करते हैं. इससे हड्डियों के बनने में मदद मिलती है और प्रोटीन और नमक कम खर्च होता है, जो शरीर में कैल्शियम ज्यादा नष्ट करते हैं.’
दूध और डेयरी उत्पाद में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा
दूध और दूसरे डेयरी प्रोडक्टस में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, लेकिन सवाल यह है कि शरीर इसे कितना पचा सकता है. डेयरी बोर्ड ऑफ अमेरिका के एक साल के स्टडी से पता चलता है कि एक दिन में दूध का एक अतिरिक्त ग्लास शरीर में कैल्शियम स्तर को जरा भी नहीं बढ़ाता. इस चार्ट को देखिए और जानिए कि आप अपने धन का क्या मूल्य प्राप्त करते हैं.
भोजन आहार मात्रा कैल्सियम मात्रा खपत अंश अवशोषित कैल्शियम (मिग्रा) (%) (मिग्रा) दूध 1 कप 300 32 96 सेंका बादाम 10z 80 21 17 लाल फलियां 1 कप 89 17 15 समुद्री फलियां 1 कप 128 17 22 सफेद फलियां 1 कप 161 17 27 हरी फूल गोभी 1 कप 178 53 94 बंदगोभी 1 कप 56 64 36 पत्ता गोभी 1 कप 50 65 33 फूलदार गोभी 1 कप 34 69 23 करमसाग 1 कप 94 59 55 छिलके वाला तिल 10z 37 21 8 बिना छिलके का तिल 10z 281 21 58 पालक 1 कप 244 5 12 शलजम 1 कप 198 52 103 (पर्ड्यू विश्वविद्यालय)
आंशिक खपत का मतलब है कि हम किसी आहार से वास्तव में कितना कैल्शियम ले सकते हैं. उदाहरण के लिए, फूलगोभी या ब्रोकल्ली के लिए जो आंकड़ा दिया गया है वह 53 फीसदी है. इसका मतलब है कि ब्रोकल्ली में जितना कैल्शियम होता है, हम उसमें से सिर्फ 53 फिसदी ही अपने शरीर में इस्तेमाल कर पाते हैं.
गिनती कीजिए कि आपने हरेक वस्तु के लिए कितना खर्च किया और 400 मिलीग्राम के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उससे कितना कैल्शियम प्राप्त किया. इससे यह साफ है कि हरी सब्जियां, फलियां, गिरी और बीज सबके सब ताकत के केंद्र हैं और दूध की तुलना में हमारे शरीर को अधिक कैल्शियम देने में प्रभावशाली हैं, वह भी बिना किसी एलर्जी के.
सभी प्रकार के भोजन में दूध सबसे बड़ा एलर्जी का कारक है. आप दूध से कैल्शियम प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इसकी तमाम बीमारियों के साथ. कब्ज, (इटली के शोधकर्ताओं के अध्ययन के मुताबिक 1-6 वर्ष के बच्चे जो इस रोग से पीड़ित रहते थे, गाय के बजाय सोये का दूध लेने पर कब्ज से मुक्त हो गए) अस्थमा, मुंहासे, ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोग सिर्फ कुछ नाम हैं.
जितना दूध पिएंगे, उतना अधिक बीमारी के शिकार
दूध में मौजूद कैल्शियम सही मायने में स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है, क्योंकि इसका अपच्य या अनडाइजेस्टेड अंश मूत्र तंत्र में जमा होता रहता है और किडनी के स्टोन के रूप में विकसित हो जाता है. दूसरी स्थिति जो दूध के कारण पैदा होती है, वह यह है कि इससे ऑस्टियोपोरोसिस होने या हड्डियों के कमजोर होने का खतरा भी बना रहता है. हालांकि अध्ययन से पता चलता है कि कैल्शियम की कमी के बजाय शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा के कारण यह खतरनाक स्थितियां पैदा होती हैं. इसलिए, आप जितना ज्यादा दूध पिएंगे, उतना अधिक इस बीमारी के शिकार होंगे.
स्वीडन जैसे देशों में सबसे ज्यादा दूध की खपत होती है और इसी देश में सबसे ज्यादा ऑस्टियोपोरोसिस के मामले भी होते हैं. एक और भ्रम है कि दूध अल्सर में लाभ पहुंचाता है. अल्सर पेट की परत के नष्ट होने या कमजोर होने के कारण होता है. जब आप दूध पीते हैं, यह आपको फौरन दर्द में राहत देता है. लेकिन यह सिर्फ अस्थायी होता है. दूध पेट में एसिडिटी को बढ़ाता है, जो बाद में पेट की परतों को नुकसान पहुंचाता है और समस्या को बढ़ा देता है.
इसके अलावा, अल्सर के जिन मरीजों का इलाज डेयरी उत्पादों से किया जाता है, वह 2 से 6 गुना ज्यादा हार्ट अटैक के घेरे में रहते हैं. यह बात सही इसलिए भी लगती है क्योंकि दूध ऐसा भोजन है, जिस पर एक बछड़ा पल कर एक महीने में अपना वजन चार गुना बढ़ा लेता है.
आयुर्वेद में दूध को विष वाली सूची में रखा गया है
दूध में प्राकृतिक रूप से इतना अधिक वसा होता है कि इससे मोटापा बढ़ जाता है, जो आज की हमारी सभी आधुनिक बीमारियों की जड़ है. आयुर्वेद यानी प्राचीन भारतीय औषधि विधि में दूध को पांच सफेद विष वाली सूची में रखा गया है.
मतलब यह है कि मनुष्यों को दूध की जरूरत नहीं है, और मानवता प्रिय लोगों को शायद और भी कम दूध की.
(लेखक भारत सरकार में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री हैं)
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