छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला संगीत, नृत्य और साहित्य के लिए पूरे भारत में विख्यात है. जहां प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 13 सितंबर से 22 सितंबर तक छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ऐतिहासिक 'चक्रधर समारोह' का आयोजन किया जा रहा है. चक्रधर समारोह का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है.
आजादी के पहले रायगढ़ एक स्वतंत्र रियासत था, जहां सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों का फैलाव बड़े पैमाने पर था. प्रसिद्ध संगीतज्ञ कुमार गंधर्व और हिंदी के पहले छायावादी कवि मधुकर पांडेय रायगढ़ से ही थे.
सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से जब रियासतों के भारत में विलीनीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई तो रायगढ़ के राजा चक्रधर विलीनीकरण के सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजा थे. राजा चक्रधर एक कुशल तबला वादक थे और संगीत तथा नृत्य में भी निपुण थे. उनके प्रयासों और प्रोत्साहन के फलस्वरूप ही यहां संगीत और नृत्य की नई शैली विकसित हुई.
स्वतंत्रता पूर्व से ही गणेशोत्सव के समय यहां सांस्कृतिक आयोजन की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई, जिसने धीरे-धीरे एक बड़े आयोजन का रूप ले लिया. यह आयोजन इतना वृहद था कि राजा चक्रधर जी के देहावसान के बाद उनकी याद में 'चक्रधर समारोह' के नाम से यहां के संस्कृतिकर्मियों और कलासाधकों ने वर्ष 1985 से दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत की जिसके माध्यम से देश के सांस्कृतिक मानचित्र में छत्तीसगढ़ को स्थापित करने में बड़ी मदद मिली.
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