सबके बीच में सॉरी बोलकर अपने गुनाह से बचने की कोशिश करने वालों को अब करारा जवाब देने का वक्त आ गया है. लड़कियों से छेड़छाड़ करने और सेक्सुअल हमले करने वालों को एक समूह के रूप में पहचानने और इनकी मौजूदगी की चेतावनी पोस्ट करने के उपाय हमें शुरू करने होंगे.
बड़े बदलाव शुरू करने का वक्त
हालांकि, हम में से कुछ ने यह सोचना शुरू कर दिया होगा कि लाइव टीवी पर इनकी जमकर धुलाई ही इन्हें सही जवाब होगा.
लेकिन आखिर कब तक हम इन संदिग्धों को शॉल या गमछों में मुंह छिपाए देखते रहेंगे. कब तक 10-12 पुलिसवालों के बीच में हाथ में रस्सी से बंधे इन लोगों को हम देखते रहेंगे. अक्सर ऐसे मामलों में पीड़ित या दूसरे लोगों को यह पता ही नहीं चल पाता है कि अभियुक्त को सजा हो पाई या नहीं. कहीं दबदबे के चलते इन्हें छोड़ तो नहीं दिया गया या मामूली डांट-फटकार कर मामले को निपटा दिया गया.
कई देशों में हैं कड़े कानून
यूके में, सेक्सुअल अपराध करने वालों के घर वॉयलेंस एंड सेक्स ऑफेंडर रजिस्ट्री (वीआईएसओआर) में दर्ज होते हैं. वहां समुदाय इस बात को लेकर जागरूक रहता है कि इस तरह के अपराध करने वालों को निश्चित तौर पर सजा मिले. खास तौर पर बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वालों के लिए वहां प्रावधान बेहद सख्त हैं.
ये अपराधी बिना अपने बारे में सूचना दिए घर और नौकरियां बदल नहीं सकते हैं. यहां तक कि ऐसे शख्स अगर कहीं यात्रा भी करना चाहते हैं तो उसके पहले उन्हें सारी जानकारी अधिकारियों को मुहैया करानी होती है.
अमेरिका में ये कानून और भी ज्यादा सख्त हैं. अमेरिका में यौन अपराधियों के जेल से रिहा होने के बाद उनकी खोज-खबर को लेकर जागरूकता का लेवल और ऊंचा है. राष्ट्रपति ओबामा ने हाल में ही एक कानून को मंजूरी दी है. इस कानून के तहत सेक्स अपराधियों के लिए ट्रैवल करना लगभग नामुमकिन बना दिया गया है.
मेरीलैंड में अधिकारी इस तरह के अपराधियों के घर के सामने एक कद्दू रख देते हैं, जो दूसरे लोगों के लिए एक चेतावनी होती है कि यह शख्स बुरा व्यक्ति है.
भारत में हम पब्लिक पुलिसिंग में कोसों दूर हैं. न ही समाज ऐसे लोगों के लिए सख्त होता है जो कि महिलाओं और बच्चों के साथ इस तरह के अपराध करते हैं.
अब हो सकता है कि आप कहें कि न्याय को फास्ट ट्रैक करने से कुछ बेकसूर पुरुषों को मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है. ये लोग बदले हुए कानूनों का गलत फायदा उठाने वाली महिलाओं का शिकार हो सकते हैं.
पुख्ता सबूतों के आधार पर हो कार्रवाई
सबसे पहली चीज, कानून को यह सुनिश्चित करना होगा कि सबूत पक्के हों. वीडियो फुटेज झूठ नहीं बोलती. न ही डीएनए झूठा होता है. अगर सबूत इतने मजबूत हैं कि जिनसे संदेह की कोई गुंजाइश नहीं बचती है तो ऐसा शख्स गुनहगार माना जाएगा. इसे इसी रूप में आस-पड़ोस में देखा जाना चाहिए.
एक बार कोर्ट अगर ऐसे शख्स को सजा दे दे, तो उसके बाद हर बिंदु पर पारदर्शिता रहनी चाहिए.
सेक्स अपराधों के बारे में यह बात आम है कि हम ऐसे अपराधियों को सजा देने से बचते हैं.
बेंगलुरु की घटना का वीडियो देखिए. यह हमला न तो किसी उकसावे के चलते हुए प्रतिक्रियावश था, न ही वह कोई दिल्लगी थी.
यह एक सीधा-सपाट हमला था और इसका भरपूर विरोध किया गया.
बच निकलते हैं अपराधी
गुनाह और उस पर न्याय मिलने में होने वाला समय का अंतर इतना बड़ा होता है कि मीडिया खुद ही इसमें दिलचस्पी खो देती है. इससे कई बार अपराधी बिना सजा पाए समाज में वापस लौट जाते हैं.
अभियुक्त, उसके संपर्क, उसके वकील और सिस्टम सबको पता होता है कि कोई और स्कैंडल सामने आ जाएगा. वो अखबारों में सुर्खियां बन जाएगा. इससे उनके लिए चीजों को संभालना आसान हो जाता है.
लेकिन, अगर बार-बार अपराध करने वालों को पहचाना जाए और उन्हें शर्मिंदा किया जाए. हर बार अपराध के लिए उन पर भारी जुर्माना थोपा जाए. हर केस को व्यापक तौर पर प्रकाशित किया जाए तो शायद इसके अच्छे नतीजे दिखाई दे सकते हैं.
फैमिली वॉचडॉग और किडसेफ जैसे संगठन बच्चों की सुरक्षा को लेकर काम कर रहे हैं. ये आपके इलाके में रहने वाले यौन अपराध में सजा पा चुके किसी शख्स को ट्रैक करते हैं.
ये संगठन लोगों को लड़कियों और बच्चों को लेकर जोखिम को कम करने के बारे में जागरूक बनाते हैं.
समाज को भी जागरूक होने की जरूरत
बच्चों और लड़कियों को यौन अपराधियों से बचाने के बारे में कुछ चीजें हैं, जिन पर हमें गौर करना चाहिए.
किसी अपरिचित की गाड़ी में न बैठें.
किसी अपरिचित के घर न जाएं.
अगर कोई अपरिचित आपको खिलौने, पैसे, गिफ्ट या चॉकलेट दे रहा है. तो इस बारे में अपने माता-पिता को बताएं.
बच्चों को अकेले बाहर खेलने न भेजें, उनके साथ उनका कोई दोस्त हो. साथ ही बिना किसी बड़े की निगरानी के बच्चों को न छोड़ें.
अगर कोई अपरिचित आपकी ओर बढ़ रहा है तो अपने माता-पिता या पुलिस को आवाज दें.
कई देशों ने अपने यहां सेक्स अपराधों को लेकर रजिस्ट्रेशन और नोटिफिकेशन सिस्टम तैयार किए हैं. इन पर लाल टैग मार्क किए गए हैं.
इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बरमुडा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, जमैका, जर्सी, केन्या, मालदीव, माल्टा, पिटकेयर्न आइसलैंड, साउथ अफ्रीका, साउथ कोरिया, ताइवान, ट्रिनिडाड एंड टोबैगो, यूके और अमेरिका हैं.
कई अन्य देश इसी तर्ज पर काम कर रह हैं. हालांकि, हम इनमें शामिल नहीं हैं. हम अपनी प्राचीन सभ्यता को बचाने में ज्यादा व्यस्त हैं. हम यह नहीं देख पा रहे हैं कि हमारी आधुनिक सभ्यता कैसे नष्ट हो रही है.
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