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4 महीने के उच्च स्तर पर थोक महंगाई, मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव के आसार कम

होलसेल प्राइस इंडेक्स आधारित इन्फ्लेशन अक्टूबर महीने में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 5.28 प्रतिशत पर पहुंच गई. हालांकि कच्चा तेल के नरम पड़ने और रुपए की स्थिरता लौटने के कारण रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में दरें यथावत रख सकता है

Updated On: Nov 14, 2018 04:31 PM IST

Bhasha

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4 महीने के उच्च स्तर पर थोक महंगाई, मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव के आसार कम

थोक मूल्य सूचकांक (होलसेल प्राइस इंडेक्स) आधारित मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) अक्टूबर महीने में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 5.28 प्रतिशत पर पहुंच गई. हालांकि कच्चा तेल के नरम पड़ने और रुपए की स्थिरता लौटने के कारण रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति (मॉनेटरी पॉलिसी) समीक्षा बैठक में दरें यथावत रख सकता है. होलसेल इन्फ्लेशन पिछले महीने यानी सितंबर में 5.13 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 3.68 प्रतिशत थी.

सरकार द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में नरमी देखी गई. इनमें सितंबर के 0.21 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में 1.49 प्रतिशत अपस्फीति देखी गई. इस दौरान सब्जियों के भी भाव गिरे. सब्जियों के भाव इस दौरान 18.65 प्रतिशत कम हुए. सितंबर में इनमें 3.83 प्रतिशत की गिरावट आई थी.

ईंधन और विद्युत बास्केट में महंगाई सितंबर के 16.65 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में 18.44 प्रतिशत रही. पेट्रोल और डीजल के भाव इस दौरान क्रमश: 19.85 प्रतिशत और 23.91 प्रतिशत बढ़े. द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस के दाम भी अक्टूबर में 31.39 प्रतिशत बढ़े.

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खाद्य पदार्थों में अक्टूबर महीने में आलू के दाम 93.65 प्रतिशत बढ़े. हालांकि प्याज 31.69 प्रतिशत और दाल 13.92 प्रतिशत सस्ते हुए. अक्टूबर की 5.28 प्रतिशत की होलसेल इन्फ्लेशन चार महीनों का उच्चतम स्तर है. इससे पहले जून में यह दर 5.68 प्रतिशत रही थी.

अक्टूबर महीने की होलसेल इन्फ्लेशन की चाल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) आधारित खुदरा महंगाई (रिटेल इन्फ्लेशन) से उलट रही है. रिटेल इन्फ्लेशन कम होकर एक साल के निचले स्तर 3.31 प्रतिशत पर आ गई है.

मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव के आसार कम

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अक्टूबर महीने में बढ़ी होलसेल इन्फ्लेशन में वस्तुओं की अधिक कीमतें और रुपए की गिरावट का प्रभाव दिखता है. खाद्य पदार्थों का सस्ता होना रिटेल इन्फ्लेशन की तुलना में होलसेल इन्फ्लेशन पर कम ही असर दिखा पाता है.

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उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति को नाप-तौल कर सख्त करने का रुख अपनाने और अक्टूबर में होलसेल इन्फ्लेशन बढ़ने के बाद भी रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति दिसंबर 2018 में होने वाली बैठक में दरों को यथावत रख सकती है क्योंकि अक्टूबर में रिटेल इन्फ्लेशन में नरमी आई है और रुपया एवं कच्चा तेल में सुधार हुआ है.’

नायर ने कहा कि कच्चे तेल में आई नरमी और रुपए की हालिया मजबूती से अक्टूबर-मार्च की अवधि में होलसेल इन्फ्लेशन 4.5 से पांच प्रतिशत के दायरे में रहेगी.

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