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बजट 2018: महिलाओं से भेदभाव क्यों कर रही है सरकार?

सरकार ने पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के प्रोडक्ट्स पर ज्यादा टैक्स लगाया है, अगर आपको भरोसा नहीं है तो पढ़िए यह खबर

Updated On: Jan 28, 2018 09:16 PM IST

Pratima Sharma Pratima Sharma
सीनियर न्यूज एडिटर, फ़र्स्टपोस्ट हिंदी

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बजट 2018: महिलाओं से भेदभाव क्यों कर रही है सरकार?

महिला टैक्सपेयर्स की डिमांड है कि सरकार उन्हें बजट में कुछ ज्यादा टैक्स छूट दे. बजट में सरकार का फैसला क्या होगा इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन टैक्स लगाने की व्यवस्था पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि सरकार को महिलाओं से कुछ खास लगाव नहीं हैं. जीएसटी के तहत उत्पादों पर जो टैक्स लगाया गया है, उसके हिसाब से तो यही कहा जा सकता है.

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अगर आपको इस पर यकीन नहीं है तो नीचे दिए कुछ उत्पादों पर लगे टैक्स को देखिए. महिलाओं के लिए बेहद जरूरी सैनिट्री नैपकिन पर सरकार ने 12 फीसदी टैक्स लगाया है. यह टैक्स लगाने के बाद सरकार की काफी आलोचना हुई लेकिन सरकार ने इस पर से टैक्स खत्म नहीं किया है. जीएसटी लागू होने से पहले सैनिट्री नैपकिन लग्जरी आइटम के दायरे में आता था. तब इस पर 13.7 फीसदी टैक्स लगता था. जीएसटी लागू होने के बाद यह टैक्स 12 फीसदी पर आ गया.

क्या है सरकार का कहना?

फाइनेंस मिनिस्ट्री अरुण जेटली से जब इस मामले में सवाल पूछा गया तो उनका कहना है कि अगर टैक्स हटाया जाएगा तो इसका फायदा सिर्फ चाइनीज कंपनियों को मिलेगा. घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को घाटा होगा और वे इस मार्केट से निकलने के लिए मजबूर हो जाएंगी.

एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को बढ़ावा दे रही है. दूसरी तरफ सरकार महिलाओं के बायोलॉजिकल प्रोसेस पर टैक्स लगा रही है. नैपकिन इस्तेमाल न करने की वजह से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ा है. आज भी देश के कई हिस्सों में महिलाएं पीरियड्स में राख और सूखे पत्ते का इस्तेमाल करना पड़ता है.

सैनिट्री नैपकिन को सरकार ने गैरजरूरी मानते हुए इस पर 12 फीसदी टैक्स लगाया है. जबकि कॉन्डम पर जीरो फीसदी टैक्स लगता है.

महिलाओं से बेरुखी क्यों? 

यह पहला प्रोडक्ट नहीं है जब सरकार ने महिलाओं पर ज्यादा टैक्स थोपा है. अगर मेकअप की बात करें तो खूबसूरत दिखने के लिए महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. मेकअप पर सरकार ने 28 फीसदी जीएसटी लगाया है. यह जीएसटी का मैक्सिमम लेवल है. इसके मुकाबले अगर हम ट्रिमर की बात करें तो उस पर सिर्फ 18 फीसदी जीएसटी लगा. यानी महिलाओं को अपनी शौक के लिए पुरुषों के मुकाबले ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है.

बात अगर जूतों की करें तो इसमें भी पुरुषों को ज्यादा फायदा हुआ है. चमड़े के जूतों पर सरकार सिर्फ 12 फीसदी जीएसटी वसूलती है जबकि महिलाओं के स्टीलोटोज बूट पर 18 फीसदी जीएसटी लगा है.

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