इस साल बजट में सरकार बेनामी प्रॉपर्टी की लगाम कस सकती है. बेनामी प्रॉपर्टी में लेनदेन को लेकर पहली बार 1988 में कानून बना था. सरकार अब बेनामी संपत्ति के कानून में बदलाव करना चाहती है. माना जा रहा है कि बजट सेशन में संशोधन के लिए इसे संसद में पेश किया जा सकता है.
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बेनामी लेनदेन एक्ट में संशोधन का प्रपोजल पहली बार मई 2015 में किया गया था. 2016 में बेनामी संशोधन बिल पास हुआ. इसके साथ ही चल और अचल संपत्ति इस कानून के दायरे में आ गईं.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) यह प्रस्ताव रख सकती है कि बेनामी प्रॉपर्टी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए ज्यादा दिन मिलें. अभी तक इसके लिए 90 दिन है. सीबीडीटी की दलील है कि किसी बेनामीदार के खिलाफ एक्शन लेने के लिए 90 दिन कम हैं और इसे बढ़ाकर 180 दिन कर देना चाहिए.
क्या है मौजूदा नियम ?
कानून के मुताबिक, अगर इनिशियेटिंग अॉफिसर को कोई शख्स बेनामीदार लगता है तो वह अथॉरिटी की मंजूरी लेकर उसके खिलाफ नोटिस जारी कर सकता है. फील्ड अफसर को बेनामी प्रॉपर्टी के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू करने के लिए 90 दिन या इससे कम वक्त मिलता है.
सरकार ने 2022 तक सबके लिए घर का सपना देखा है. इसके लिए शहरों में कम से कम 2 करोड़ और ग्रामीण इलाकों में 3 करोड़ घरों की जरूरत होगी. बेनामी ट्रांजैक्शंस (प्रोहिबिटेशन) अमेंडमेंट एक्ट 2016 को 1 नवंबर 2016 को लागू किया गया था. इसके तहत अगर किसी प्रॉपर्टी पर किसी एक आदमी का मालिकाना हक है और उसकी कीमत किसी और ने चुकाई है तो वह बेनामी प्रॉपर्टी मानी जाएगी. सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि प्रॉपर्टी मार्केट में बेनामी प्रॉपर्टी के सौदे रोके जाए. अब देखना है कि बेनामी प्रॉपर्टी को रोकने के लिए सरकार बजट में क्या नए नियम लेकर आती है.
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