इंश्योरेंस सेक्टर इस बार बजट से काफी उम्मीदें कर रहा है. कई रिपोर्ट्स से भी यह बात निकलकर सामने आई है कि यह सेक्टर कई मुश्किलों से जूझ रहा है. बीमा सेक्टर रेगुलेटर इरडा ने हाल ही में एक कमिटी गठित की थी. इसका मकसद इस सेक्टर में कुछ सुधार लाना था.
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क्या है इंश्योरेंस सेक्टर की मांग?
उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार 2018-19 के आम बजट में जीवन बीमा सेक्टर में कुछ टैक्स छूट का प्रावधान कर सकती है. औद्योगिक संगठन फिक्की का कहना है कि अभी इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इसमें लाइफ इंश्योरेंस के साथ-साथ पेंशन प्लान या ट्यूशन फीस पर खर्च की गई रकम भी है.
फिक्की की मांग है कि इस छूट को बढ़ाना चाहिए. इसके तहत अकेले जीवन बीमा के प्रीमियम पर मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर देना चाहिए. और 80 सी के तहत कुल निवेश में मिलने वाले टैक्स छूट को बढ़ाकर कम से कम 3 लाख करना चाहिए.
इरडा ने हाल ही में आईआरडीएआई (नॉन-लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स) रेगुलेशन, 2013 और आईआरडीएआई (लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स) रेगुलेशन, 2013 को नोटिफाई किया था. लेकिन बदलते हुए बाजार के हालात में इसे बदलने की जरूरत बनी हुई है. इसी साल जनवरी में आईआरडीएआई ने 8 सदस्यों की एक समिति भी बनाई है.
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