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बजट 2018: सबका साथ, सबका विकास में छूट गया मिडिल क्लास

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले इस साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. गुजरात के नतीजों को देखकर सरकार यह समझ चुकी थी कि किसानों की अनदेखी करके नहीं चला जा सकता

Updated On: Jan 17, 2019 05:46 PM IST

Pratima Sharma Pratima Sharma
सीनियर न्यूज एडिटर, फ़र्स्टपोस्ट हिंदी

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बजट 2018: सबका साथ, सबका विकास में छूट गया मिडिल क्लास

इस साल के बजट से ऐसा लग रहा है कि सरकार का फोकस पूरी तरह क्लियर था. सरकार को किसानों और महिलाओं का दिल जीतना था और घोषणाएं में भी उनका ही दबदबा नजर आया. बजट की शुरुआत करते ही अरुण जेटली ने सबसे पहले किसानों के लिए बहुत बड़ा ऐलान कर दिया. 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले इस साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. गुजरात के नतीजों को देखकर सरकार यह समझ चुकी थी कि किसानों की अनदेखी करके नहीं चला जा सकता. वैसे यह अलग बात है कि सरकार ने इन सब कोशिशों के बीच मिडिल क्लास को छोड़ दिया है.

उम्मीद थी कि इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करके सरकार मिडिल क्लास को थोड़ी राहत देगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इनकम टैक्स स्लैब में सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया. मिडिल क्लास को जेटली से जो उम्मीद थी, वो तो पूरी नहीं हुई लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन का ऐलान खानापूर्ति के तौर पर कर दिया. अभी तक 15,000 रुपए मेडिकल और 19,000 रुपए कंवेन्स पर मिल रहे थे. सरकार ने इन दोनों को खत्म करके 40,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन दे दिया है.

ज्यादातर लोगों का यह मानना था कि इस बार सरकार कर छूट आमदनी 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 40,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन से सरकार को 8,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

बजट भाषण की शुरुआत ही किसानों के चेहरे पर मुस्काने लाने वाली घोषणा के साथ हुई. उन्होंने ऐलान किया किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी लागत का डेढ़ गुना दिया जाएगा. साल भर काम करके भूखे पेट सोने वाले किसानों को इससे कितना फायदा होगा यह तब पता चलेगा जब सरकारी खरीद इस रेट पर शुरू हो जाएगी. अगर इस योजना को सही ढंग से लागू किया जाता है तो किसानों की कमाई बढ़ेगी. कृषि कर्ज का टारगेट भी सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ा दिया है. अब यह 10 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 11 लाख रुपए हो गया है. सरकार ने वादा किया है कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अति महत्वाकांक्षी योजना को अरुण जेटली ने अपने बजट से सपोर्ट किया है.

किसानों का खास ख्याल 

खासतौर किसानों की समस्याओं को दूर करने का फैसला किया गया है. जेटली ने किसानों के लिए खासतौर पर ऑपरेशन ग्रीन शुरू किया है. किसानों को सबसे ज्यादा समस्या गोदाम को लेकर होती है लिहाजा उनके लिए अलग-अलग जिलों में स्टोरेज की व्यवस्था की गई है.

महिलाओं और बुजुर्गों के साथ सरकार ने जरूर थोड़ी नरमी जरूर बरती है. आर्थिक सर्वे गुलाबी रंग में पेश करने से इस बात के संकेत मिल गए थे कि सरकार महिलाओं को खुश करेगी. सरकार ने उज्ज्वला योजना का टारगेट 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ दिया है. दूसरी तरफ कामकाजी महिलाओं की जेब भरते हुए महिलाओं के ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन को कम करके 8 फीसदी कर दिया है. यानी जिन महिलाओं का वेतन कम है वह कम ईपीएफ कटवाकर ज्यादा पैसा खर्च के लिए रख सकती है. पहले यह करीब 9 फीसदी था. सरकार ने इस साल नए कर्मचारियों के लिए यह बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है.

युवाओं पर नरेंद्र मोदी का जोर हमेशा से बना रहा है. युवाओं के सपनों का ख्याल रखते हुए अरुण जेटली ने हर तीन संसदीय क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का ऐलान किया है. इससे युवाओं को भी सरकार ने खुश होने की एक वजह दे दी है.

इंडिया इंक के लिए थोड़ी खुशी-थोड़ा गम

जहां तक इंडिया इंक की बात है तो सरकार ने बेहद समाजवादी तरीका अपनाया है. पिछले साल नरेंद्र मोदी ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने का संकेत दिया था. 14 साल पहले खत्म लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को दोबारा लागू कर दिया गया. अब 1 लाख रुपए से ज्यादा प्रॉफिट या डिविडेंड पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.

मौजूदा नियमों के मुताबिक, अभी तक 12 महीने से पहले शेयर बेचने पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म टैक्स लगता है. 12 महीने के बाद शेयर बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इस टैक्स के अफने सामाजिक मायने हैं. आर्थिक मामलों के जानकार राजेश रापरिया का कहना है, 'आम आदमी का गाढ़ी कमाई पर टैक्स लग रहा है, लिहाजा शेयर से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाना भी वाजिब है.'

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