इस साल बजट में होम बायर्स को कुछ राहत मिल सकती है. एक एनजीओ ने कहा है कि जीएसटी के नाम पर बिल्डर्स अपनी जेब भर रहे हैं. जबकि होम बायर्स को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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फोरम फॉर पीपल्ट कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने फाइनेंस मिनिस्ट्री क बजट से जुड़े कुछ सुझाव भेजे हैं. एफपीसीई ने फाइनेंस मिनिस्ट्री से कहा है कि इनकम टैक्स कैलकुलेशन में ईएमआई के तौर पर दी जा रही रकम को घटा देना चाहिए. एफपीसीई का कहना है कि बिल्डर्स वक्त पर फ्लैट की डिलीवरी नहीं दे रहे हैं. ऐसे में होमबायर्स पर दोतरफा बोझ बढ़ता है. एक तरफ वह किराया चुकाता है जबकि दूसरी तरफ होमलोन की ईएमआई देनी पड़ती है. एफपीसीई की मांग है कि होमबायर्स की ईएमआई को कर योग्य आमदनी से घटा लेना चाहिए.
एफपीसीई के प्रेसिडेंट अभय उपाध्याय ने अरुण जेटली को भेजे गए पत्र में लिखा था, 'अगर कोई शख्स किराया और ईएमआई दोनों चुका रहा है और पजेशन की तारीख निकल चुकी हो तो उसकी ईएमआई को टैक्सेबल इनकम से घटा देना चाहिए.'
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