इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को इस साल फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली से काफी उम्मीदें हैं. इस सेक्टर की सबसे बड़ी जरूरत फंड की होती है. नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की मांग है कि इस साल बजट में सरकार फंडिंग को बेहतर बनाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए.
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क्या है एनएचएआई की मांग?
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में फंड की जरूरत ज्यादा होती है. लिहाजा एनएचएआई चाहता है कि पेंशन फंड और इंश्योरेंस फंड का इस्तेमाल वह अपनी परियोजनाओं में कर सके. इन दो सेक्टर का पैसा अगर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में लगता है तो इसकी फंड की समस्या दूर हो सकती है.
निजी भागीदारी बढ़े
एनएचएआई चाहता है कि इस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी बढे़. उम्मीद है कि इस साल बजट में अरुण जेटली हाइवे में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोजेक्ट्स लागू कर सकते हैं.
टैक्स में बदलाव की मांग
मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेडेशन से जुड़े 80IA में संशोधन हो सकता है. सरकार मिनिमम अल्टरेट टैक्स को खत्म कर सकती है. सेक्शन 10 (23G) के तहत इंफ्रा परियोजनाओं में पैसा लगाने वाले निवेशकों को टैक्स छूट मिलता था. इस साल बजट में इसे दोबारा लागू किया जा सकता है. इन बदलावों में इस सेक्टर में कैश फ्लो बढ़ेगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स घटाने की मांग
रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रिट्स) के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की होल्डिंग पीरियड 3 साल से घटाकर 1 साल करने की मांग की जा रही है. अभी तक रिट्स के निवेश में 3 साल बने रहने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. होल्डिंग पीरियड घटने पर सिर्फ एक साल बाद ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगना शुरू हो जाएगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन से कम होता है, इसलिए अच्छा माना जाता है.
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