सहारा ग्रुप और मार्केट रेगुलेटर सेबी के बीच चल रही कानूनी लड़ाई अब सुब्रत रॉय को भारी पड़ सकती है. यह मामला निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपए की जालसाजी का है. इस हाईप्रोफाइल केस में सहारा सुप्रीमो सुब्रत रॉय को 28 फरवरी 2014 को गिरफ्तार किया गया था. बाद में मई 2016 में उन्हें पैरोल पर छोड़ा गया. इसके बाद वो अब तक जमानत पर हैं. देखते हैं इस मामले में कब क्या हुआ?
सितंबर 2009: सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी को आवेदन दिया.
अक्टूबर 2009: सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) ने रजिस्टार ऑफ कंपनीज को आईपीओ के लिए आवेदन जमा किया.
दिसंबर 2009: सेबी को SIRECL और SHICL के खिलाफ प्रोफेशनल ग्रुप फॉर इनवेस्टर प्रोटेक्शन ने समूह की शिकायत मिली. इस समूह का आरोप था कि देश भर में ओएफसीडी (कंवर्टिबल डिबेंचर) जारी करने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया है.
जनवरी 2010: ठीक इसी तरह की शिकायत सहारा ग्रुप के खिलाफ नेशनल हाउसिंग बैंक के जरिए रोशन लाल ने की. सेबी इस मामले में ग्रुप की सफाई चाहता था. सेबी ने पहले ग्रुप के इनवेस्टमेंट बैंकर एनाम सिक्योरिटीज के जरिए और बाद में सहार ग्रुप से इसकी पड़ताल की. आगे जांच में पता चला कि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में आईपीओ के लिए दस्तावेज (रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्ट्स) जमा करने के बाद ओएफसीडी के जरिए फंड जुटाया था. नियमों के मुताबिक 50 या इससे ज्यादा निवेशकों को ओएफसीडी जारी करने के लिए सेबी की मंजूरी जरूरी है. जबकि सहारा ग्रुप सेबी की मंजूरी के करोड़ों निवेशकों को ओएफसीडी बेच चुका था.
नवंबर 2010: सेबी ने दोनों कंपनियों के खिलाफ अंतरिम आदेश पास करते हुए समूह को निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया.
जून 2011: सेबी ने फाइनल ऑर्डर पास किया और सहारा ने सिक्योरिटी अपीलीय ट्राइब्यूनल में सेबी के आदेश को चुनौती दी.
अक्टूबर 2011: सिक्योरिटी अपीलीय ट्राइब्यूनल ने सेबी के आदेश को बरकरार रखा और सहारा ग्रुप की कंपनियों को 25,781 करोड़ रुपए तीन करोड़ से ज्यादा निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया.
अगस्त 2012: सहारा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने भी सहारा ग्रुप की दोनों कंपनियों को सेबी के पास 24,000 रुपए जमा कराने को कहा ताकि वह निवेशकों का पैसा लौटा सके.
दिसंबर 2012: सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को तीन किस्तों में पूरी रकम चुकाने का आदेश दिया. इसमें 5,120 करोड़ रुपए की पहली किस्त तुरंत चुकाना था.
फरवरी 2013: दो किस्त नहीं चुकाने पर सेबी ने ग्रुप के बैंक अकाउंट और दूसरी प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश दे दिया. बाद में रेगुलेटर ने सहारा सुप्रीमो सुब्रत रॉय और तीन डायरेक्टर्स को पेश होने का समन जारी किया.
अप्रैल 2013: समन के बाद सुब्रत रॉय सेबी के सामने पेश हुए.
जुलाई 2013: कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने पर सेबी सहारा ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया.
नवंबर 2013: सुब्रत रॉय के देश छोड़ने पर पाबंदी लग गई.
20 फरवरी 2014: सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को अदालत में पेश होने को कहा.
26 फरवरी 2014: सुब्रत रॉय के अदालत में पेश न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया. सहारा चीफ ने कहा, मां की बीमारी की वजह से नहीं पहुंच सके.
28 फरवरी 2014: सुब्रत रॉय को लखनऊ से गिरफ्तार करके मार्च तक के लिए जेल भेजा गया.
4 मार्च 2014: कोर्ट से जेल ले जाने के दौरान एक वकील ने गरीबों को लूटने का आरोप लगाते हुए सुब्रत रॉय पर काली स्याही फेंकी.
26 मार्च 2014: सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय की बेल के लिए 10,000 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा. इसमें 5000 करोड़ रुपए कैश और 5000 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा करानी थी. सहारा ने कहा, इतने कम वक्त में इतनी बड़ी रकम जुटाना नामुमकिन है.
4 जून 2014: सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में जब्त किए बैंक अकाउंट पर से नियंत्रण छोड़ा. सुब्रत रॉय की जमानत के लिए प्रॉपर्टी बेचने की भी मंजूरी दी.
5 जुलाई 2014: सुब्रत रॉय ने सुप्रीम कोर्ट से तिहाड़ जेल का गेस्ट हाउस इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी. रॉय गेस्ट हाउस का इस्तेमाल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए विदेश की अपनी प्रॉपर्टी बेचने के लिए करना चाहते थे. उन्हें 25 दिन तक गेस्ट हाउस इस्तेमाल करने की अनुमति मिली लेकिन कोई डील नहीं हो पाई.
30 अक्टूबर 2014: सेबी सुप्रीम कोर्ट गया और 47,000 करोड़ रुपए चुकाने के लिए सहारा को नई समय सीमा देने को कहा.
23 नवंबर 2014: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दिल्ली और नोएडा में सहारा के दफ्तरों पर छापा मारा और 135 करोड़ रुपए हासिल किए.
9 जनवरी 2015: सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को जमानत की रकम जुटाने के लिए विदेश से लोन लेने की मंजूरी दी. ग्रुप को अमेरिका के मिराच कैपिटल के साथ डील करने की भी अनुमति मिल गई.
20 जनवरी 2015: सहारा ने कहा, वह मिराच कैपिटल से 12,000 करोड़ रुपए जुटाने के करीब है.
5 फरवरी 2015: मिराच के साथ सहारा की डील नहीं हुई. कंपनी का आरोप था कि मिराच ने बैंक ऑफ अमेरिका की तरफ से फर्जी लेटर दिखाया था. बैंक ऑफ अमेरिका डील के बैंकर की भूमिका में था. बैंक ऑफ अमेरिका ने कहा, वह इस डील का हिस्सा है.
11 फरवरी 2015: मिराच ने कहा कि बैंक ऑफ अमेरिका को सहारा ग्रुप पर भरोसा नहीं था, जिसकी वजह से यह डील नहीं हो पाई. मिराच के संस्थापक सारांश शर्मा ने कहा, सहारा यह डील नहीं करना चाहता था. शर्मा ने कहा सहारा अपनी प्रॉपर्टी बेचने के मूड में नहीं था.
13 फरवरी 2015: सहारा इंडिया फाइनेंशियल बेचने के खिलाफ आरबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
17 मार्च 2015: मिराच ने सहारा के खिलाफ 2400 करोड़ रुपए का मानहानि का दावा ठोका. मिराच का आरोप था कि कंपनी ने 'निवेशकों का भरोसा' तोड़ा है. फरवरी में सहारा ने कहा था कि वह मिराच के खिलाफ एक्शन लेगा.
23 मार्च 2015: सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी बेचने के लिए सहारा को और तीन महीने का वक्त दिया ताकि जमानत के लिए फंड जुटाया जा सके. अदालत ग्रुप पर आरोप लगाया कि वह अपनी प्रॉपर्टी बेचने में गंभीरता नहीं दिखा रहा है.
जून 2015: टी एस ठाकुर की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच ने सुब्रत रॉय की जमानत के लिए बैंक गारंटी के एक फॉरमैट को मंजूरी दे दी. लेकिन इसे 36000 करोड़ रुपए लौटाने को कहा.
नवंबर 2015: अपनी प्रॉपर्टी बेचने के लिए सुब्रत रॉय ने तिहाड़ जेल का गेस्ट हाउस और 45 दिन के लिए मांगा.
मई 2016: सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय का पैरोल 11 जुलाई तक बढ़ा दिया ताकि वे सेबी को 200 करोड़ रुपए चुका सकें. रॉय को 6 मई को 4 हफ्ते के पैरोल पर छोड़ा गया था ताकि वे अपनी मां का क्रिया कर्म कर सकें.
अगस्त 2016: सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय की अंतरिम बेल 16 सितंबर तक बढ़ा दी. साथ ही उन्हें 300 करोड़ रुपए चुकाने का आदेश दिया.
नवंबर 2016: सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय का पैरोल बढ़ाकर 28 नवंबर कर दिया. साथ ही हिदायत दी कि 6 फरवरी तक 600 करोड़ रुपए चुकाएं या जेल जाने के लिए तैयार रहें.
जुलाई 2017: पिछले एक साल से पैरोल पर तिहाड़ जेल से बाहर निकले सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने फिर राहत दी. कोर्ट ने कहा था कि सुब्रत रॉय 20 जुलाई तक 552 करोड़ रुपए जमा करें या जेल जाए. दूसरी तरफ कोर्ट मुंबई के लोनावला स्थित ऐंबी वैली को नीलाम करने की तैयारी शुरू कर देगी.
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