टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) से नौकरी गंवाने वाले कई अमेरिकी कर्मचारियों ने अदालत में केस दायर किया है. उन्होंने कंपनी पर नस्लीय आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. जिसके बाद भारत की बड़ी आईटी कंपनी TCS अमेरिका में बड़ी मुश्किल में फंसती दिखाई दे रही है. मामले पर कैलिफोर्निया में सोमवार को सुनवाई होने जा रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि कंपनी के जरिए उन्हें किसी क्लाइंट का काम नहीं सौंपा गया था. वहीं इस मामले में अमेरिका में विदेशी कंपनियों के लिए चलने वाला वर्क वीजा प्रोग्राम भी चर्चा में आ चुका है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर इस प्रोग्राम की आलोचना करते आए हैं. इस वीजो को कंपनियां अमेरिका में विदेशी वर्कर्स को लाने के लिए इस्तेमाल में लेती हैं. वहीं मौजूद ट्रंप सरकार एशिया की सबसे बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनी टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो पर ज्यादा से अमेरिकियों की नियुक्ति करने के लिए कहती आई है.
हालांकि इस मामले में टीसीएस मजबूती के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. टीसीएस का कहना है कि अमेरिकियों का हटाने से जुड़ा मामला एक प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है. परफॉर्मेंस को ध्यान में रखते हुए लोगों को टर्मिनेट किया गया. वहीं टीसीएस के जरिए अमेरिकी ऑपरेशन में किसी भी अनुचित बर्ताव से इनकार किया गया है.
कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है कि हमारी सफलता अमेरिका और वैश्विक स्तर पर मौजूद सर्वोत्तम प्रतिभा प्रदान करने की हमारी क्षमता पर आधारित है, जो व्यक्ति के विशेष अनुभव, कौशल और प्रत्येक ग्राहक की खास आवश्यकताओं पर आधारित है. टीसीएस सभी संघीय और राज्य समान रोजगार अवसर कानूनों और विनियमों का सख्ती से पालन करता है.'
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