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सरकार से बातचीत कर मसलों को हल करने के लिए तैयार हैं RBI के डायरेक्टर

19 नवंबर को होने वाली मीटिंग के लिए आरबीआई के सभी डायरेक्टर्स के पास कुल 20 चीजों की लिस्ट तैयार है वहीं सरकार चाहती है इस बैठक में कुछ बड़ी चिंताओं पर बात की जाए

Updated On: Nov 12, 2018 01:39 PM IST

FP Staff

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सरकार से बातचीत कर मसलों को हल करने के लिए तैयार हैं RBI के डायरेक्टर

सरकार और आरबीआई के बीच पिछले कुछ समय से चल रही खींचतान के बाद अब आरबीआई के कुछ डायरेक्टर्स सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई के कुछ डायरेक्टर्स सरकार के साथ विवादास्पद मसलों पर बातचीत कर उन्हें हल करने की कोशिशों में जुट गए हैं. लेकिन इसी के साथ वे पूंजी आधारित उन मसलों पर भी फैसला चाहते हैं, जो 2019 के आम चुनाव के बाद लागू किए जाएंगे.

19 नवंबर को होने वाली मीटिंग के लिए आरबीआई के सभी डायरेक्टर्स के पास कुल 20 चीजों की लिस्ट तैयार है, वहीं सरकार चाहती है इस बैठक में कुछ बड़ी चिंताओं पर बात की जाए. माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रीज के लिए ज्यादा पैसों का इंतजाम, नॉन बैंकिंग फायनांस कंपनीज़ के लिए लिक्विडिटी और इस तरह के दूसरे बड़े मुद्दों सरकार बात करना चाहती है.

वैसे तो सरकार कुछ अहम मुद्दों पर जल्द से जल्द बातचीत कर उन्हें निपटाना चाहती है, लेकिन 19 नवंबर को होने वाली इस मीटिंग में केवल मोटे पर तौर पर ही बात की जाएगी. साथ में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल से भी बात की जाएगी.

वहीं दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने गवर्नर उर्जित पटेल को केंद्रीय सूचना आयोग की तरफ से जारी एक कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 26 नवंबर तक का समय मांगा है. सूत्रों ने कहा कि मामले में प्रगति की संभावना नहीं है, क्योंकि पैनल में सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू का कार्यकाल 20 नवंबर को खत्म हो जाएगा जो उनके कामकाज का अंतिम दिन है.

उन्होंने बताया कि आचार्युलू ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से 16 नवंबर तक जवाब देने को कहा था, लेकिन इसने अब 26 नवंबर तक का समय मांग लिया है. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने उर्जित पटेल को नोटिस जारी किया था क्योंकि आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों (2015 के जयंती लाल मिस्त्री मामले में) के बावजूद बड़े कर्ज डिफॉल्टरों की सूची का खुलासा करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने आरबीआई से सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत कर्ज डिफॉल्टरों की सूची के खुलासे के तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के आदेशों में से एक का पालन करने को कहा था.

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