आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स के लिए अति आशावादी बैंकर्स और पॉलिसी पैरालिसिस को जिम्मेदार ठहराया है. सीएनबीसी-18 के मुताबिक राजन ने मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली समिति को बताया है कि बैंकों ने लोन देने में सावधानी नहीं रखी. जितने लाभ की उम्मीद की गई थी, उतने का लाभ नहीं हुआ.
राजन ने बताया कि बैंकों ने जोंबी लोन को एनपीए में बदलने से बचाने के लिए ज्यादा लोन दिए. बता दें कि पूर्व प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए पर राजन की कोशिश की तारीफ की थी, जिसके बाद संसदीय समिति ने उन्हें इस मुद्दे पर सलाह देने के लिए न्योता भेजा था.
वर्तमान में राजन शिकागो यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं और वह 2016 तक आरबीआई के गवर्नर रहे हैं. गौरतलब है कि बढ़ते हुए एनपीए की वजह से संसदीय समिति वित्त मंत्रालय के अधिकारी हंसमुख अधिया और बाकी वरिष्ठ अधिकारियों से पहले ही पूछताछ कर चुकी है.
बता दें कि इस समय सारे बैंक एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं. दिसंबर 2017 तक बैंकों का एनपीए 8.99 ट्रिलियन रुपए हो गया था. वहीं अगर बैंकों में जमा धन की बात करें तो यह कुल धन का 10.11 फीसदी है. बढ़ता हुए एनपीए लगातार चुनौती बना हुआ है.
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