पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी से आम आदमी परेशान है. हर दिन यह उम्मीद होती है कि आज पेट्रोल और डीजल के दाम कम हो जाए. बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल का भाव 71.37 रुपए प्रति लीटर और डीजल 62.04 रुपए प्रति लीटर रहा.
लेकिन कीमतें घटने के बजाय बढ़ती जा रही हैं. वजह साफ है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड का भाव लगातार बढ़ता जा रहा है. क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि सर्दियां होने की वजह से क्रूड का भाव ज्यादा है.
ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अजय बंसल का अनुभव यही कहता है कि हर साल सर्दियों में क्रूड महंगा हो जाता है. बंसल बताते हैं, 'यूरोप और अमेरिका में ठंड बढ़ने की वजह से क्रूड की डिमांड बढ़ जाती है. लिहाजा डिमांड और सप्लाई की सामान्य थ्योरी के हिसाब से क्रूड की कीमतें बढ़ जाती हैं.' बंसल ने कहा, फरवरी से जैसे-जैसे ठंड कम होगी अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में क्रूड की मांग घटेगी. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता होगा और घरेलू बाजार में डीजल और पेट्रोल के दाम कम होंगे. सर्दियों में बॉयलर और हीटर का इस्तेमाल बढ़ने से डीजल की खपत ज्यादा होती है. यानी अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बढ़ती डिमांड का बोझ हमें उठाना पड़ रहा है.
क्या हर सर्दियों में महंगा होता है क्रूड?
ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अजय बंसल का मानना है कि जैसे-जैसे ठंड कम होगी क्रूड सस्ता होगा. इससे पहले यह जानना जरूरी है कि क्या हर बार सर्दियों में क्रूड का भाव बढ़ जाता है. इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए नीचे दिए चार्ट को देखते हैं.
इसमें हाइलाइट किए गए आंकड़ों को देखें तो यह साफ हो जाएगा कि सर्दियों के मौसम में क्रूड महंगा हुआ है. 31 दिसंबर 2017 को क्रूड 61.19 डॉलर प्रति बैरल पर है. जबकि 30 जून 2017 को यह 46.17 डॉलर प्रति बैरल था.
ठीक इसी तरह 31 दिसंबर 2016 के आंकड़े को देखें तो पता चलेगा कि दिसंबर और जनवरी में क्रूड का भाव ज्यादा था.जबकि 30 अप्रैल 2016 को इसका भाव 40.75 डॉलर प्रति बैरल पर था. इन दो साल के आंकड़ों से एक उम्मीद तो बंधती है कि जैसे-जैसे गरमी चढ़ेगी क्रूड के भाव में नरमी आएगी.
एक मुश्किल फिर भी बरकरार
अगर आप यह सोच रहे हैं कि सिर्फ सर्दी और गर्मी का ही आपकी जेब पर असर पड़ता है तो आप गलत हैं. मौसम के साथ कुछ और चीजें भी आपकी जेब की सेहत बिगाड़ सकती हैं. इनमें डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट भी भारी पड़ रही है.
17 जनवरी 2018 को डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे टूटकर 64.07 पर रहा. इससे पहले मंगलवार को रुपया 55 पैसे यानी करीब 1 फीसदी गिरकर 64.05 पर रहा. रुपया कमजोर होने का सीधा मतलब है कि आपको इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी.
मान लीजिए अगर क्रूड 50 डॉलर प्रति बैरल है. 64.07 रुपए के भाव पर एक बैरल इंपोर्ट करने के लिए (64.07x50=3203.50 रुपए) चुकाने होंगे. अगर इस बीच रुपया कमजोर होकर 65 रुपए पर आ जाता है तो एक बैरल के लिए सरकार को (65X50=3250 रुपए) चुकाने पड़ेंगे. यानी अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत चाहे जो भी हो अगर रुपए गिरता है, तो पेट्रोल और डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. रुपया कमजोर होने का मतलब है कि एक डॉलर के बदले पहले जहां 64.07 रुपए चुकाने पड़ते थे, उसके कमजोर होने पर एक डॉलर के बदले ज्यादा रुपया देना होगा.
ऐसे में इतना तो तय है कि फरवरी में क्रूड की मांग कम होगी. लेकिन रुपए में कमजोरी बरकरार रही तो आने वाले महीनों में पेट्रोल-डीजल की कीमत में कुछ खास कमी होना मुश्किल है.
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