कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने शुक्रवार को 2,000 तक डिजिटल लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट हटाने का फैसला किया है. अब ग्राहक को 2,000 तक के डिजिटल लेनदेन पर कोई एक्सट्रा चार्ज नहीं देना होगा.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा 'हमने ग्राहकों पर MDR के रूप में पड़ने वाले बोझ को हटाने का फैसला किया है. यह डेबिट कार्ड, यूपीआई, भीम और आधार संबंधित ट्रांजेक्शन पर लगता था. यह छोटे उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत है.'
MDR डेबिट और क्रेडिट कार्ड सर्विसेज के बदले व्यापारियों पर चार्ज किया जाता है. जिसका सीधा बोझ उपभोक्ताओं पर भी पड़ता है. अभी सालाना 20 लाख से कम का व्यापार करने वाले व्यापारियों पर 0.40 प्रतिशत MDR लगता है. इसके अलावा सालाना 20 लाख से ज्यादा का व्यापार करने वाले व्यापारियों पर 0.90 प्रतिशत MDR लगता है.
2,000 तक के ट्रांजेक्शन पर MDR हटाने का मुख्य उद्देश्य कैश को कम करना है. छोटे ट्रांजेक्शन उपभोक्ता कैश ही करते हैं. MDR हटाने से अब उपभोक्ता डिजिटल पेमेंट का उपयोग करेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने की बात कही थी. इस छूट का मुख्य उद्देश्य कैशलेस को बढ़ावा देना है. यह मीटिंग डिजिटल लेनदेन के विश्लेषण के लिए गठित की गई थी. इससे पहले सरकार ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नोटबंदी की थी. इस मीटिंग में प्रसाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
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