ऑनलाइन शॉपिंग में जब तक कैशबैक और छूट का तड़का न लगे तब तक मजा नहीं आता है. कैशबैक और छूट के चलते ग्राहकों में ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर पिछले कुछ सालों में क्रेज काफी बढ़ा है, जिसके कारण भारत में धड़ल्ले से ई-कॉमर्स कारोबार ने पैर पसारे हैं. एक क्लिक पर आपको घर बैठे अपनी मनचाही चीज सस्ते दामों में मिल रही है तो भला कौन बाहर जाकर दुकानों से सामन खरीदेगा.
भारत में पिछले आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो साल-दर-साल ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों में बढ़ोतरी हुई है. इस बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण कैशबैक और सामानों पर मिलने वाले अलग-अलग तरह के ऑफर रहे हैं. लेकिन तब क्या होगा अगर ग्राहकों को ये कैशबैक और छूट मिलनी बंद हो जाए? हो सकता है जो लोग सिर्फ कैशबैक और लुभावने ऑफर के कारण ही ऑनलाइन शॉपिंग करते हों उनमें गिरावट आ जाए. हो सकता है कि ग्राहकों में कमी के कारण ई-कॉमर्स कारोबार ही घाटे में चलने लगे.
दरअसल, अब नए साल में ग्राहकों को ऑनलाइन शॉपिंग के कारण झटका लगने वाला है. ई-कॉमर्स व्यापार पर नकेल कसने के लिए सरकार ने कमर कस ली है. सरकार ने ई-कॉमर्स कारोबार के लिए नई नीतियां जारी की है. वाणिज्य मंत्रालय का सख्त लहजे में कहना है कि कोई भी ऐसी इकाई या कंपनी जिसमें ई-कॉमर्स कंपनी या उस ग्रुप की किसी दूसरी कंपनी की इक्विटी यानी हिस्सेदारी है या फिर इनवेंटरी (सामान) पर नियंत्रण है तो ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए उसे अपने प्लेटफॉर्म यानी वेबसाइट पर बेचने की अनुमति नहीं होगी.
ऐसे इसलिए कहा गया क्योंकि ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी होलसेल इकाइयों के जरिए बड़े स्तर पर सामान खरीद लेती हैं, जो गिनी-चुनी कंपनियों को ही अपना माल बेचते हैं. इन कंपनियां के साथ उनकी साझेदारी होती है. इसके बाद ये कंपनियां दूसरी कंपनियों या फिर ग्राहकों को सीधे तौर पर प्रोडक्ट बेचा करती है. यहां प्रोडक्ट की कीमत बाजार दाम से काफी कम होती है. जिसके कारण ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए बड़े स्तर पर डिस्काउंट दिया जाता है. इसी डिस्काउंट के कारण छोटे व्यापारी और ऑफलाइन स्तर पर काम करने वाले कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ता है.
अब इन नीतियों के चलते ई-कॉमर्स वेबसाइट जिस तरह पहले ताबड़तोड़ तरीके से कैशबैक और हर प्रोडक्ट पर कोई न कोई ऑफर दिया करते थे वो शायद आने वाले साल 2019 में ग्राहकों को न मिले. ऐसे में एक बार उन बदलावों पर भी नजर दौड़ा ली जाए, जो नए साल 2019 में ई-कॉमर्स सेक्टर में देखने को मिल सकते हैं.
कैशबैक और लुभावने ऑफर्स में कमी
FDI वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए प्रावधानों को सख्त किया गया है. अब ऑनलाइन बाजार उन कंपनियों के उत्पाद नहीं बेच पाएंगी जिनमें इनकी हिस्सेदारी है. पहले ई-कॉमर्स कंपनियां अपने हिस्सेदारी वाली कंपनियों से थोक में सामान लेकर कैशबैक और बंपर डिस्काउंट देकर बाजार दाम से भी कम में बेचा करती थी. इससे ऑफलाइन कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब नए नियमों के मुताबिक ऑनलाइन कंपनियां हिस्सेदारी वाली कंपनियों के उत्पाद नहीं बेच पाएंगी. इससे साफ तौर पर कैशबैक और लुभावने ऑफर्स में कमी देखने को मिलेगी. जिसके कारण यूजर्स भी इन प्रोडक्ट को ऑनलाइन तरीके से खरीदने से बचेंगे.
स्पेशल प्रोडक्ट में कमी
कंपनियां अब सामान बेचने वाली कंपनियों के साथ विशेष करार नहीं कर सकतीं. पहले कई बार ऐसा होता था कि ऑनलाइन कंपनियों की खास स्मार्टफोन या प्रोडक्ट के लिए पहले से ही निर्माता कंपनी से डील कर लेती थी, जिसके कारण एक्सक्लूसिव तरीके से वो खास प्रोडक्ट सिर्फ उसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर मिलता था. जिसके साथ उसका करार हुआ है.
ऐसे में एक साइट पर एक प्रोडक्ट के लिए ट्रैफिक भी काफी बढ़ जाता था और फ्लैश सेल के नाम पर कुछ ही सेकेंड में उस प्रोडक्ट को आउट ऑफ स्टोक भी दिखा दिया जाता था लेकिन अब सरकार ने नए नियमों के तहत इस पर भी नकेल करने के कोशिश की है. अब ई-कॉमर्स कंपनियां किसी यूनिट के साथ उसके किसी उत्पाद को केवल अपने प्लेटफॉर्म पर बेचने का कॉन्ट्रैक्ट नहीं कर सकेंगे. हालांकि इससे ग्राहकों को फायदा मिलेगा और वो अलग-अलग जगहों से उस उत्पाद की खरीदारी कर सकेंगे.
कीमतें प्रभावित नहीं होंगी
नए नियमों के तहत छोटे व्यापारियों को सरकार ने राहत देने का काम किया है. ई-कॉमर्स कंपनियों में बंपर डिस्काउंट के नाम पर किसी प्रोडक्ट पर इतनी छूट दी जाती रही है कि वो प्रोडक्ट ऑफलाइन काफी महंगा मिलता था लेकिन ऑनलाइन काफी सस्ता मिल जाता था. हालांकि अब सरकार ने इस ओर ध्यान दिया है. जिसके कारण ऑनलाइन कंपनियां किसी प्रोडक्ट की कीमतों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकेंगी.
इसके कारण ग्राहकों को जितने दाम में कोई प्रोडक्ट ऑनलाइन मिलेगा, उतने दाम में या उसके आस-पास की कीमत में ही ऑफलाइन भी हासिल हो पाएगा. इससे ऑफलाइन कारोबारियों को थोड़ी राहत की सांस मिलेगी और ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन करीब-करीब समान अमाउंट का ही भुगतान करना होगा.
फ्लैश सेल हो सकती है फेल
छूट के इस दौर में ई-कॉमर्स कंपनियां सेल का आयोजन करती आईं है. किसी फेस्टिवल या किसी खास मौके के दौरान अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों के जरिए ये सेल लॉन्च की जाती थी. इस सेल में ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए लगभग हर प्रोडक्ट पर दमदार डिस्काउंट दिया जाता रहा है.
बाजार की कीमतों की तुलना में ये दाम काफी कम होते थे, जिसके कारण ग्राहक हाथों-हाथ सस्ते में उन उत्पादों को खरीद लिया करते थे. लेकिन अब सरकार जो नियम लाने जा रही है उनके कारण इन सेल में कमी देखी जा सकती है क्योंकि सेल में कंपनियों का मुख्य फोकस ज्यादा से ज्यादा उत्पादों पर डिस्काउंट देने पर होता है. लेकिन अब कंपनियां ज्यादा डिस्काउंट नहीं दे पाएगी. जिसके कारण ऐसी सेल पूरी तरह से फेल हो सकती है.
ग्राहकों में गिरावट का अंदेशा
दूसरी तरफ अब ई-कॉमर्स कंपनियों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज उसके ग्राहकों को बनाए रखने का सामने आ गया है. ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों का मुख्य मोटिव बाजार दाम से कम दाम और सस्ते में प्रोडक्ट खरीदना रहता है. लेकिन अब ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान ग्राहक अगर कोई सामान खरीदना चाहेंगे तो हो सकता है कि उस प्रोडक्ट का दाम बाजार में भी उतना ही हो. ऐसे में किसी प्रोडक्ट को आज बाजार जाकर ग्राहक जिस कीमत पर तुंरत खरीद सकता है, उसी कीमत पर ज्यादातर ग्राहक दौड़ती-भागती जिंदगी में 2-3 दिन की डिलीवरी टाइम में खरीदना नापसंद ही करेंगे. जिसके कारण सीधे-सीधे ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों में गिरावट देखी जा सकती है.
वहीं कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स भी इन नीति के साथ है. उनका कहना है कि ये आदेश जस का तस लागू होता है तो ई-कॉमर्स कंपनियों की कम प्राइसिंग वाली नीति और बंपर डिस्काउंट के दिन गई बातें हो सकती है. ऐसे में नए नियम एक फरवरी से लागू होंगे और 1 फरवरी के बाद देश में ऑनलाइन शॉपिंग की दिशा और दशा क्या रहती है, इसको लेकर ई-कॉमर्स कारोबारी भी सचेत हैं.
नए साल के अवसर पर हमने अपने पाठकों से Quiz पूछा था. इन सवालों के जवाब इस तरह हैं...
1. रूस, 2. जापान, 3. लोकप्रिय लोगों और सेलेब्रिटीज के पुतले जलाते हैं. 4. रेड, 5. साउथ अमेरिका, 6. हर घंटे पर एक सफेद अंगूर खाया जाता है. इस तरह दिन के 12 घंटे में 12 सफेद अंगूर खाया जाता है. 7. साओ पाउलो, ब्राजील 8. स्की, हाइक और सेलीब्रेट 9. चिली, 10. Happy New Year
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