मौसम विभाग ने इस साल सामान्य से बेहतर मॉनसून (बारिश) की भविष्यवाणी की है. साल के दौरान लंबी अवधि में प्रमुख दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून औसतन 97 फीसदी रहने के आसार हैं. मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी किसानों के लिए अच्छी खबर लेकर आई है. वहीं यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिए भी बड़ी राहत है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार देश में अच्छा मॉनसून 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले सरकार को अपने आर्थिक आंकड़े दुरुस्त करने का मौका देगा.
मॉनसून की कैटगरी क्या हैं?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आकलन के अनुसार जून से शुरू होने वाले 4 महीने के मॉनसून सीजन के दौरान सामान्य या औसत मॉनसून का मतलब 96 प्रतिशत से लेकर 104 प्रतिशत बारिश होती है. 50 वर्ष के औसत के हिसाब से यह 89 सीएम हुआ. औसत से 90 प्रतिशत नीचे होने वाली बारिश को सूखा माना जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार के पहले दो साल के दौरान, 2014 और 2015 में, लगातार सूखे की स्थिति रहने के कारण सरकार के इससे निपटने को लेकर कुछ आलोचना हुई थी. औसत के 110 प्रतिशत से अधिक बारिश का मतलब अत्यधिक मॉनसून होगा, जो सूखे के रूप में हानिकारक नहीं होगा, लेकिन कुछ फसलों की पैदावार के लिए यह नुकसानदेह हो सकता है. भारत में मॉनसून सीजन दक्षिणी केरल के तट पर 1 जून के आसपास बारिश से शुरू होता है, जुलाई के मध्य तक यह पूरे देश में आ जाता है.
देश के लिए मॉनसून क्यों जरूरी है?
मॉनसून के दौरान भारत को उसके वार्षिक वर्षा का लगभग 70 प्रतिशत बारिश मिलता है. यह चावल, गेहूं, गन्ना और तिलहन जैसे कि सोयाबीन जैसे प्रमुख फसलों की पैदावार निर्धारित करता है. भारत का कृषि क्षेत्र उसके 2000 अरब डॉलर अर्थव्यवस्था का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है. लेकिन यह देश की 1.3 अरब आबादी के आधे से अधिक लोगों को रोजगार देता है.
यदि मॉनसून की अच्छी बारिश होती है तो इसका असर कृषि उत्पादन की बढ़ोतरी पर होगा. ग्रामीण भारत की आय बढ़ने से देश में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ेगी. एक मजबूत आर्थिक दृष्टिकोण इक्विटी को उठाएगा, मुख्य रूप से उन कंपनियों के लिए जो ग्रामीण क्षेत्रों को केंद्रित कर प्रोडक्ट निर्माण करते हैं. इनमें उपभोक्ता वस्तुएं, ऑटोमोबाइल, खाद और कीटनाशक शामिल हैं.
चावल और गेहूं जैसे फसलों की पैदावार में भारत आत्मनिर्भर है, लेकिन सूखे की स्थिति पैदा होने पर देश को खाद्य पदार्थ आयात करने की आवश्यकता होगी. 2009 में खराब मॉनसून के बाद भारत को विदेशों से चीनी का आयात करना पड़ा था. इससे चीनी की वैश्विक कीमतें उच्चतम रिकॉर्ड को छू गई थीं इसका असर देश में बढ़ी महंगाई के रूप में देखने को मिला था.
मॉनसून बारिश से जलाशयों और भूजल का स्तर बढ़ने में मदद मिलती है, इससे बेहतर सिंचाई और अधिक पनबिजली (हाइ़ड्रो पावर) पैदा होती है. अच्छी बारिश से सब्सिडी वाले डीजल की मांग में भी कमी आ सकती है, जिसका इस्तेमाल कुएं से सिंचाई के लिए किया जाता है.
पीएम मोदी के लिए 2019 चुनाव से पहले अच्छा मॉनसून क्यों जरूरी है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी बेहतर मानसून जरूरी है. 5 साल में किसानों से उनकी आय दोगुनी करने का वादा करने वाले नरेंद्र मोदी अपने लगभग 4 साल के कार्यकाल में अभी भी लोकप्रिय हैं. हालांकि, इस दौरान बीजेपी शासित कुछ राज्यों में किसानों का गुस्सा सरकार पर फूटा है.
सामान्य मॉनसून गर्मियों में बोए जाने वाले फसलों के पैदावार को बढ़ा सकता है, इससे किसानों का अपने राज्य के नेताओं के प्रति नाराजगी कम होगी.
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