मीडिया फिलहाल गुजरात चुनाव की ऊंच-नीच में व्यस्त है. इसलिए हो सकता है कि उसका ध्यान वित्त मंत्रालय के नए 'मोक्ष ज्ञान' पर नहीं गया हो. वित्त मंत्रालय ने इस 'मोक्ष ज्ञान' के चलते महंगाई का नया अर्थशास्त्र गढ़ा है. इसी अर्थशास्त्र की धुन पर यदि आगामी बजट रचा गया, तो आपको बताया जाएगा कि आपकी खर्च योग्य आय बढ़ाने के लिए आयकर की दरें बढ़ायी जा रही हैं. या समझा जाएगा कि टमाटर 30 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम हो जाने से टमाटर 100 फीसदी सस्ते हो गए हैं.
ये क्या हिसाब है?
यह कोई मजाक नहीं है. वित्त मंत्रालय के इस नए ज्ञान की यही सच्चाई है. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट करके यह बताया कि महंगाई दर गिरने से औसतन सामान्य महंगाई का स्तर घटता है. सरल शब्दों में समझें तो महंगाई दर घटने से चीजें और सेवाएं पहले से सस्ती हो जाती हैं.
वित्त मंत्रालय ने अपने ट्विटर पर उपभोक्ता कीमत सूचकांक (औद्योगिक मजदूर) के 2005-06 से अक्तूबर 2017-18 तक के आंकड़ों का ग्राफ डाला है. इस ग्राफ के साथ टिप्पणियां भी हैं.
Inflation Data shows a steady decline in general prices : pic.twitter.com/HolLLXOSur
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) December 5, 2017
इस ग्राफ के साथ बताया गया है कि मुद्रास्फीति के आंकड़े दर्शाते हैं कि सामान्य कीमत स्तर में लगातार गिरावट हो रही है. जाहिर है कि वित्त मंत्रालय हमें यह एहसास कराना चाहता है कि औसत सामान्य कीमत स्तर लगातार गिर रहा है यानी चीजें और सेवाएं पहले से सस्ती हो रही हैं.
निश्चित रूप से यह मुद्रास्फीति दर की नई असाधारण व्याख्या है. हो सकता है कि यह ग्राफ और टिप्पणी अज्ञानतावश या मुद्रास्फीति के बारे में समझ न होने के कारण ट्वीट कर दी गई हो. यदि ऐसा नहीं है तो यह ट्वीट जानबूझ कर गुमराह करने के लिए किया गया कारनामा है.
क्या होती है मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति का सामान्य अर्थ है कि कीमतों में वृद्धि. मुद्रास्फीति दर का मतलब होता है कि किसी निश्चित अवधि में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों की औसत वृद्धि दर.यह कम, ज्यादा, सामान्य या बहुत अधिक हो सकती है. मुद्रास्फीति दर में गिरावट का मतलब होता है कि औसत कीमत स्तर अपेक्षाकृत कम गति या दर से आगे बढ़ रहा है.
मान लीजिए मुद्रास्फीति दर चार फीसदी है तो इसका अर्थ है कि 100 रुपए की चीज 104 रुपए की हो गई है. फिर यह दर घट कर 2 फीसदी रह गई, तो इसका मतलब है कि महंगाई है, लेकिन इसकी दर कम हो गई है. यानी 104 रुपए के अलावा हमें 100 का 2 फीसदी और चुकाना होगा. इस हिसाब से हमें 104+2 यानी 106 रुपए चुकाने होंगे. महंगाई दर घट कर 2 फीसदी होने का मतलब यह नहीं है कि 104 रुपए की चीज 102 रुपए की हो जाएगी.
लेकिन वित्त मंत्रालय का ट्वीट यह दर्शाता है कि मुद्रास्फीति दर लगातार गिर रही है और सामान्य कीमत स्तर भी घट रहा है. यह पूरी तरह भ्रामक है. वैसे सामान्य लोगों की भी यही धारणा होती है कि मुद्रास्फीति दर गिरने से वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें कम होती हैं. इसलिए जब मुद्रास्फीति दर गिरने की खबर आती है तब सामान्य जन की यही प्रतिक्रिया होती है कि 'फिर बाजार में क्यों दाम बढ़ रहे हैं.' मुद्रास्फीति दर गिरने के बारे में धारणा साफ कर लेनी चाहिए कि दर कम होने का अर्थ यह नहीं है कि दाम घटेंगे. इसका मतलब यह है कि कीमतें बढ़ेंगी लेकिन अपेक्षाकृत पहले से कम दर से बढ़ रही हैं.
यह चार शब्द हैं महत्वपूर्ण
ऐसा नहीं है कि कीमत लगातार ज्यादा दर से ही बढ़ती हैं. कीमतों के अर्थशास्त्र को समझने के लिए चार शब्द महत्वपूर्ण हैं, मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन), अपस्फीति (डिफ्लेशन), पुनर्मुद्रास्फीति (रिफ्लेशन) और अवस्फीति (डिसिन्फ्लेशन).
मुद्रास्फीति का अर्थ है कि कीमत स्तर सदैव बढ़ता है. पर अर्थव्यवस्था में कीमत स्तर सदैव बढ़ता है, ऐसा भी नहीं है. कई बार देखा गया है कि औसत कीमत स्तर गिरता भी है यानी कीमतें पहले से कम हो जाती हैं. इसे अवस्था अपस्फीति (डिफ्लेशन) कहते हैं. अपस्फीति में कीमतें स्थिर भी रह सकती हैं. यह अवस्था अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है.
इस स्थिति से निपटने के लिए सरकारें पुनर्मुद्रास्फीति (रिफ्लेशन) का सहारा लेती हैं. रिफ्लेशन में टैक्स घटाए जाते हैं, ब्याज दरें कम की जाती हैं और मुद्रा आपूर्ति बढ़ाई जाती है. इनमें से तीनों या किसी एक का सहारा अपस्फीति से निपटने के लिए सरकारें लेती हैं.
मुद्रास्फीति से उबरने के लिए अवस्फीति (डिसिन्फ्लेशन) का सहारा लिया जाता है. इसमें सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए लोगों की खर्च शाक्ति घटाने के लिए उपाय करती है.
उड़ रहा है मजाक
वित्त मंत्रालय के उक्त ट्वीट का सोशल मीडिया में मजाक उड़ रहा है. मशहूर आर्थिक विशेषज्ञ विवेक कौल ने ट्वीट किया है कि वित्त मंत्रायल जाहिर तौर पर मुद्रास्फीति की परिभाषा नहीं समझता है. कीमतों के गिरने और कीमत वृद्धि दर गिरने में अंतर होता है. यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं.
The ministry of finance clearly does not understand the definition of inflation. The difference between falling prices and the fall in rate of price rise. Two very distinct things. https://t.co/ycDfcK3UMr
— Vivek (@kaul_vivek) December 6, 2017
स्केपटिक इंडियन ट्वीटर यूजर के अबशर ने ट्वीट किया है कि हम सब जानते हैं कि जेटली 1 + 2 / 2 को सही से हल नहीं कर सकते हैं. कमल ने ट्वीट किया है कि वित्त मंत्रालय को छठीं कक्षा का गणित सीखना चाहिए. विक्रम इफेक्ट यूजर ने ट्वीट में चुटकी ली है कि क्षीणवुद्धि, कीमत प्रतिशत घट रहा है. पांच रुपए का अंडा 8 का हो गया. अब क्या 20 का करना है. जडूमत यूजर ने चुटकी ली है कि अंधेर नगरी, चौपट राजा. अब तक डेढ़ हजार लोग लाइक कर चुके हैं वित्त मंत्रालय के इस कारनामे को.
क्या राहुल से सबक लेगा वित्त मंत्रालय
महंगाई को लेकर राहुल गांधी ने एक ग्राफ ट्वीट किया था जिसमें कई चीजों की कीमतें बढ़ती हुई दिखाई गई थीं. लेकिन इसमें प्रतिशत कीमत वृद्धि दिखाने में गलतियां थीं. बीजेपी ने इसका मजाक बनाया, तो राहुल गांधी ने गलती बताने के लिए बीजेपी को धन्यवाद दिया और ग्राफ हटा लिया. क्या वित्त मंत्रालय या वित्त मंत्री राहुल गांधी से सबक ले कर इस ट्वीट के लिए अपनी गलती स्वीकार करेंगे.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.