देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, एलआईसी को आईडीबीआई बैंक की 40 से 43 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को LIC के बोर्ड के साथ ही साथ सरकार ने भी मंजूरी दे दी है.
बता दें कि देश के सरकारी बैंकों में से एक आईडीबीआई बैंक में केन्द्र सरकार की 85 फीसदी हिस्सेदारी है. वर्तमान में यह बैंक एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एस्सेट की समस्या से जूझ रहा हैं.
बैंक के कर्ज का स्तर 55,600 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. ऐसे में केन्द्र सरकार बैंकिंग सुधार के नाम पर आईडीबीआई की हिस्सेदारी छोड़ने की कवायद में है.
वहीं एलआईसी काफी समय से बैंकिंग सेक्टर में जगह बनाना चाह रही थी. लगभग सभी सरकारी बैंकों में उसकी कुछ न कुछ हिस्सेदारी हैं ही. हाल ही जब पीएनबी घोटाला सामने आया तो यह बात भी सामने आई कि इस घोटाले से एलआईसी को बहुत बड़ा घाटा हुआ है.
इसके बावजूद एलआईसी के पास इतनी अधिक मात्रा में कैपिटल जमा है कि वह खुद के लिए एक बैंक तैयार करना चाहती है. वैसे तो कई इकोनॉमिस्ट ने इस डील को एलआईसी के लिए फायदेमंद नहीं बताया है. सलाहकारों का कहना है कि आईआरडीबी का कर्ज बहुत अधिक है, इसका बुरा असर एलआईसी पर भी पड़ेगा.
अभी हांलाकि केन्द्र सरकार ने एलआईसी और आईडीबीआई के इस डील के प्रस्ताव को पास कराने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटर (आईआरडीए) का रुख किया है. उम्मीद है इसी शुक्रवार को आईआरडीए अपना फैसला सुना देगी.
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