चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की रिपोर्ट गुरुवार को आ गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही में जीडीपी की दर 6.3% रही. इससे पहले चालू वित्त वर्ष के पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत के साथ तीन साल के निचले स्तर पर रही थी. इस लिहाज से ये आंकड़े काफी उत्साहजनक हैं.
GDP growth recovers to 6.3% in Q2 from a 3-year low of 5.7% in Q1: TCA Anant, Chief Statistician pic.twitter.com/YkXfzCPRGI
— ANI (@ANI) November 30, 2017
After almost 5 quarters of decline, GDP marks a reversal which is very encouraging: TCA Anant, Chief Statistician of India pic.twitter.com/8eQthzryd1
— ANI (@ANI) November 30, 2017
यह वृद्धि मैनुफ्चरिंग क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी का नतीजा है. बिजली क्षेत्र में 7 फीसदी, बिजली, गैल और पानी सप्लाई के क्षेत्र में 7.6 फीसदी और होटल, ट्रांसपोर्ट और संचार के क्षेत्र में 9.9 फीसदी के दर से वित्तीय वर्ष में विकास हुआ है.
Good growth figures in manufacturing reported growth of 7%, electricity, electricity, gas and water supply grew at 7.6 % and trade hotels, transport and communication grew at 9.9% : TCA Anant, Chief Statistician pic.twitter.com/CFPeu7Pecg
— ANI (@ANI) November 30, 2017
इससे पहले विश्लेषकों ने अनुमान जताया था कि कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर कुछ बेहतर यानी 6.4 प्रतिशत रहेगी.
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने भी कहा था कि पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत के तीन साल के निचले स्तर पर रही है. दूसरी तिमाही में यह कुछ बेहतर 6.3 से 6.4 प्रतिशत के बीच रह सकती है. सकल मूल्य आधारित वृद्धि दर 6.1 से 6.2 प्रतिशत रहेगी.
उनकी यह उम्मीद विभिन्न क्षेत्रों में वृहद आर्थिक संकेतकों पर टिकी थी. विशेषरूप से वे क्षेत्र जो नोटबंदी से प्रभावित हुए थे और उनकी वजह से जून तिमाही का आंकड़ा नीचे आ गया था.
सिंगापुर की ब्रोकरेज कंपनी डीबीएस ने भी अनुमान जताया था कि दूसरी तिमाही में वृद्धि दर बढ़कर 6.4 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. हालांकि, डीबीएस ने पूरे वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को 0.2 प्रतिशत घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है. ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी एचएसबीसी ने भी औद्योगिक वृद्धि में उछाल के बूते सकल मूल्यवर्धित वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वृहद आर्थिक संकेतक सुधार का संकेत दे रहे हैं. उनका कहना है कि पहली तिमाही की वृद्धि दर में गिरावट की मुख्य वजह उपभोग मांग में गिरावट, जीएसटी की अड़चनों की वजह से विनिर्माण में कमी और खनन गतिविधियों में गिरावट थी.
एसबीआई ने सितंबर में विनिर्माण उत्पादन के दस माह के उच्चस्तर 3.4 प्रतिशत, खनन के पांच माह के उच्चस्तर 9.4 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में 7.9 प्रतिशत वृद्धि का उल्लेख किया है. इसके अलावा आशावादी तस्वीर के लिए 2,700 से अधिक कंपनियों के आमदनी के आंकड़ों का जिक्र किया गया है.
उल्लेखनीय है कि वृद्धि दर में गिरावट के बाद सरकार ने कहा था कि वह गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही है. इसमें कई प्रोत्साहन भी शामिल हैं.
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