पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने के कारण फल और सब्जियों की कीमतों में इजाफा हुआ है. इसका असर थोक मूल्य सूचकांक पर साफ नजर आ रहा है. अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक 3.18 फीसदी रहा, जो चार महीनों में सबसे ज्यादा है. इससे पहले मार्च में थोक मूल्य सूचकांक (WPI)आधारित महंगाई दर 2.47 फीसदी थी. जबकि पिछले साल यह 3.85 फीसदी थी.
The Centre on Monday notified that #WholesalePriceIndex -based #inflation stood at 3.18 percent in the month of April 2018.
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2018 में खाने-पीने की चीजों की महंगाई 0.87 फीसदी रही. जबकि इससे एक महीना पहले यानी मार्च 2018 में यह 0.29 फीसदी थी. अप्रैल में सब्जियों की कीमतों में डिफ्लेशन (अपस्फीति) रही है. इसमें दाम बढ़ने के बजाय घटते हैं.
फ्यूल की महंगाई सबसे ज्यादा
अप्रैल में फ्यूल और पावर बास्केट में सबसे ज्यादा महंगाई रही है. मार्च 2018 में इसकी महंगाई दर 4.70 फीसदी थी जो अप्रैल 2018 में बढ़कर 7.85 फीसदी हो गई. लगातार क्रूड प्राइस का दाम बढ़ने से महंगाई में तेजी आई है.
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