live
S M L

भारतीयों को कैश पसंद है तो है! आरबीआई रिपोर्ट

आरबीआई के डेटा से पता चलता है कि लोगों ने निकासी के मामले में खर्च को पीछे छोड़ दिया है, मतलब पैसे निकल ज्यादा रहे लेकिन खर्च काफी कम हो रहे

Updated On: Apr 26, 2018 04:20 PM IST

FP Staff

0
भारतीयों को कैश पसंद है तो है! आरबीआई रिपोर्ट

देश के अलग-अलग हिस्सों में खाली पड़े एटीएम को भरने के लिए नोट छपाई की प्रक्रिया में तेजी लाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को आंकड़े जारी कर के बताया कि लोगों ने खर्च को निकासी के मामले में पीछे छोड़ दिया है. इसका मतलब हुआ कि पैसे निकाले ज्यादा जा रहे हैं और खर्च कम किया जा रहा है.

अर्थशास्त्री कहते हैं कि आम तौर पर बैंकों से निकाली गई राशि को सर्कुलेशन में आने में कुछ महीने का समय लगता है. जब लोग खर्च करते हैं तो यह राशि मार्केट में आती है. हालांकि आरबीआई का साप्ताहिक डेटा यह नहीं बता रहा है कि लोगों ने कितने पैसे जमा कर रखे हैं लेकिन डेटा से इस बात को मजबूती मिल रही है कि पैसे जमा किए जा रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, अरबीआई के डेटा में यह बताया गया है कि हर सप्ताह लोग कितने पैसे निकाल रहे हैं और आरबीआई कितने पैसे बैंकों को सप्लाई कर रहा है.

20 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में 16 हजार 340 करोड़ रुपए बैंकों से निकाले गए. इसी के साथ अप्रैल के पहले तीन हफ्ते में टोटल 59 हजार 520 करोड़ रुपए निकाला गया. वहीं अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंक से 16,470 करोड़ रुपए निकाले गए.

इस साल के जनवरी-मार्च तिमाही में कुल 1.14 लाख करोड़ रुपए की निकासी हुई, जो 2016 के इस तिमाही से 27 प्रतिशत ज्यादा है. 20 अप्रैल तक 18.9 लाख करोड़ रुपए की राशि सर्कुलेशन में थी जो पिछले साल के अक्टूबर से 18.9 प्रतिशत ज्यादा है. पिछले साल इसी समय निकासी की प्रक्रिया में तेजी आई थी.

आरबीआई और अन्य बैंक तब सोचने को मजबूर हुए जब इस महीने कई राज्यों के एटीएम पैसे के बगैर खाली पड़ गए. माना जा रहा है कि पीएम मोदी द्वारा नवंबर 2016 में बड़े नोटों को बंद कर दिए जाने की घोषणा के बाद से लोगों को झटका लगा है और वो अपनी पैसे बैंक में रखने और टैक्स देने से बचाने की आदत की तरफ लौट रहे हैं. इससे अंदेशा लगाया जा रहै कि लोग नकदी को जमा कर के रख रहे हैं.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi