वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था अगले 18 महीने में स्थिर हो जाएगी. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शुक्रवार को यह बात कही. कुमार ने यहां इंडियन चार्टेड अकाउंटेंट इंस्टीट्यूट (आईसीएआई) के दक्षिणी क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आप हमें समय दें. आप देखेंगे कि 18 माह में जीएसटी व्यवस्था स्थिर हो जाएगी. मुझे लगता है कि यहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.
कुमार ने कहा कि खेद की बात है कि आप में से कुछ लोग निवेशकों की मदद के बजाय उन्हें जीएसटी का डर दिखा रहे हैं. मुझे लगता है कि यह अनुचित है. कुमार ने कहा कि यदि सीए सहयोग नहीं करेंगे तो भारत संगठित और असंगठित क्षेत्र के दोहरीकरण को समाप्त नहीं कर पाएगा. यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के औपचारिक दायरे में आने से कर अनुपालन को मजबूती मिलेगी. अभी कर अनुपालन 40 से 43 प्रतिशत है. इसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत किए जाने की जरुरत है. सीए की भूमिका इसीलिए महत्वपूर्ण हो जाती है.
कुमार ने कहा कि जीएसटी के तहत कर स्लैब को तर्कसंगत बनाकर तीन स्लैब किया जाएगा, जो कि अभी पांच है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जीएसटी के तीन दर 0, 12 और 28 प्रतिशत हो सकती है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत केवल एक कर दर के बारे में सोचना व्यावहारिक नहीं है. यूरोपीय संघ के सभी देशों का जो आकार है वह भारत का अकेले का है. कुमार ने कहा कि यदि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो यह एक बड़ा कदम होगा. इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल में राज्यसभा में भी कहा है.
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