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GST: घट सकते हैं रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामानों के दाम

जीएसटी कौंसिल इस सप्ताह होने वाली बैठक में सामान्य इस्तेमाल की कई वस्तुओं पर कर की दर घटाने पर विचार करेगी

Updated On: Nov 05, 2017 03:04 PM IST

Bhasha

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GST: घट सकते हैं रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामानों के दाम

जीएसटी कौंसिल इस सप्ताह होने वाली बैठक में सामान्य इस्तेमाल की कई वस्तुओं पर कर की दर घटाने पर विचार करेगी. बताया जाता है कि कौंसिल की बैठक में हाथ से बने फर्नीचर, प्लास्टिक उत्पादों और शैंपू जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान पर जीएसटी दरों में कटौती पर विचार किया जाएगा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली कौंसिल की बैठक 10 नवंबर को होनी है. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि कई सामान्य इस्तेमाल की वस्तुओं पर 28% की जीएसटी दर को कम करने पर विचार होगा. लघु और मझोले उपक्रमों को राहत के लिए समिति उन क्षेत्रों में कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर काम करेगी जहां जीएसटी के लागू होने के बाद कराधान की दर बढ़ गई है. पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में इन पर उत्पाद शुल्क की दर की छूट थी या इन पर निचली दर से मूल्यवर्धित कर (वैट) लगता था.

पिछली बैठक में घटे थे लगभग 100 सामानों के दाम 

जीएसटी को इसी साल एक जुलाई से लागू किया गया है. उसके बाद से जीएसटी परिषद की बैठक हर महीने हो रही है. इन बैठकों में कई ऐसे बदलाव किए गए हैं, जिनसे कंपनियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं पर भी बोझ कम किया जा सके. एक अधिकारी ने कहा कि 28% के स्लैब वाली वस्तुओं पर कर दरों को तर्कसंगत किया जाएगा. ज्यादातर रोजमर्रा इस्तेमाल की वस्तुओं पर कर की दर को घटाकर 18% किया जा सकता है. इसके अलावा फर्नीचर, इलेक्ट्रिक स्विच, प्लास्टिक पाइप पर भी कर दरों की समीक्षा की जा सकती है.

जीएसटी में सभी तरह के फर्नीचर पर 28% कर लगाया गया है. लकड़ी के फर्नीचर का ज्यादातर काम असंगठित क्षेत्र में होता है और इसका इस्तेमाल मध्यम वर्ग के परिवारों द्वारा किया जाता है. इसी तरह प्लास्टिक के उत्पादों पर 18% जीएसटी लगाया गया है. लेकिन शॉवर बाथ, सिंक, वॉश बेसिन, लैवोरेटरी पैंस, सीट और कवर आदि पर जीएसटी की दर 28% तक है. अधिकारियों ने कहा कि इन पर भी दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है.

इसके अलावा वजन करने वाली मशीन और कंप्रेसर पर भी जीएसटी को 28 से घटाकर 18 प्रतिशत किया जा सकता है. जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं. परिषद पहले ही 100 से अधिक वस्तुओं पर दरों को तर्कसंगत कर चुकी है.

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