रोजगार की तलाश में पुरुषों का शहरों में जाना जारी है. महिलाओं ने इसका फायदा उठाते हुए गांवों में ही रहकर खेती-बाड़ी का जिम्मा संभाल लिया है. इस कारण खेती से जुड़े उत्पादन में अब पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ गई है.
यह बात खुद फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में बताई.
महिलाओं ने बनाया अपना खास सिस्टम
समीक्षा में कहा गया है, ‘पुरुषों के शहर जाने से खेती-बाड़ी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. खेती के कई काम में महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं.’ समीक्षा में यह भी बताया गया है कि देश में खाद्य सुरक्षा लागू कराने में महिलाओं का रोल काफी अहम है. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसी महिलाओं ने प्राकृतिक सोर्स का इस्तेमाल करते हुए अपने लिए एक खास तरह का सिस्टम बना लिया है.
संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि अब जल, जमीन, लोन और टेक्नोलॉजी तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाई जाए. खेती में आउटपुट बढ़ाने के लिए महिलाओं को खास तरह की ट्रेनिंग देने की भी बात कही गई है.
सेल्फ हेल्प ग्रुप पर जोर
कृषि में महिलाओं के रोल अगर बढ़े हैं, तो सरकार ने भी इसके लिए कई नए कदम उठाए हैं. मसलन, कृषि से जुड़ी किसी भी योजना में महिलाओं की हिस्सेदारी 30 फीसद तक बढ़ा दी गई है. कुछ योजनाएं ऐसी भी बनाई जा रही हैं जो पूरी तरह से महिलाओं के लिए समर्पित हों. छोटी-छोटी सेविंग के जरिए सेल्फ हेल्प ग्रुप (महिला स्वयं सहायता समूह) बनाने पर जोर दिया जा रहा है.
महिलाओं के इस रोल को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने हर साल 15 अक्बटूर को ‘महिला किसान दिवस’ मनाने का ऐलान किया है.
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