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सरकार ने आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया

आरबीआई और सरकार के बीच चल रहे झगड़े की जड़ इसी प्रस्ताव को माना जा रहा है. इसमें आरबीआई के पास अभी कुल 9.59 लाख रुपए का सरप्लस है जिसका एक तिहाई से अधिक हिस्सा सरकार द्वारा मांगा जा रहा था

Updated On: Nov 09, 2018 03:12 PM IST

FP Staff

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सरकार ने आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया

वित्तीय मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शुक्रवार को कहा कि 3.6 लाख करोड़ रुपए सरकार को ट्रांसफर करने जैसा कोई भी आदेश वित्त मंत्रालय की तरफ से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई को नहीं दिया गया. गर्ग ने कहा कि मीडिया में 'गलत अनुमान लगाया गया' था, और सरकार का राजकोषीय गणित 'पूरी तरह से ट्रैक पर था.'

गर्ग ने कहा कि 'मीडिया में कई तरह की गलत अटकलें चल रही हैं. सरकार का राजकोषीय गणित पूरी तरह से ट्रैक पर है. और जैसा कि अनुमान लगाया गया है, सरकार द्वारा आरबीआई को 3.6 या 1 लाख करोड़ रुपए के हस्तांतरण करने के लिए कहने जैसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है. गर्ग ने यह भी कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच सिर्फ आरबीआई के आर्थिक पूंजी ढांचे को तय करने से संबंधित बातचीत ही चल रही है.

सोमवार को इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक सरकार और आरबीआई के बीच चल रही खींचतान की प्रमुख वजह वित्त मंत्रालय का एक प्रस्ताव है. इस प्रस्ताव में वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपए के अधिशेष को ट्रांसफर करने की बात कही गई थी. आरबीआई के पास अभी कुल 9.59 लाख रुपए का सरप्लस है जिसका एक तिहाई से अधिक हिस्सा सरकार द्वारा मांगा जा रहा था. आरबीआई ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.

रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार का मानना है कि केंद्रीय बैंक ने पूंजीगत भंडार की आवश्यकताओं का अधिक अनुमान लगाया जिसके परिणामस्वरूप 3.6 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी हुई है. सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि आरबीआई के परामर्श से इन फंडों का उपयोग तय किया जाएगा. गर्ग ने शुक्रवार को कहा, 'वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार का वित्तीय घाटा 5.1% था. 2014-15 से, सरकार इसे कम करने में काफी सफल रही है. वित्त वर्ष 2018-19 में ये घाटा 3.3% रहेगा. वास्तव में सरकार ने वास्तव में इस वर्ष 70,000 करोड़ रुपए का उधार बाजार से लेने का अनुमान लगाया है.

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