फिल्म और टीवी प्रड्यूसर्स गिल्ड ने सरकार को एक मेमोरंडम भेजकर अपनी मांगें सरकार के सामने रखी हैं. इसमें पायरेसी से लेकर टैक्स सुधारों की उम्मीद सरकार से की गई है. आइए आपको बताते हैं गिल्ड की सरकार के सामने रखी गई मुख्य मांगे क्या हैं?
पाइरेसी को रोके सरकार
भारत में पाइरेसी कम होने की बजाय तेजी से बढ़ी है, अंडरवर्ल्ड का इसमें हाथ होने की वजह से, फिल्म भारत में रिलीज हो या विदेश में, सिनेमाहॉल से ही इसकी कॉपी बनकर कुछ ही घंटों में टॉरेंट और दूसरी साइट्स पर आ जाती है. जिसके बाद लोग इन फिल्मों को घर पर ही डाउनलोड करके देख लेते हैं.
सिनेमाहॉल्स में टिकट की कीमतें और दूसरे खर्चें इतने ज्यादा हैं कि लोग अपने परिवारों के साथ फिल्म देखने को महंगा सादा मानते हैं इसलिए पाइरेसी पर आम लोग फायदा होने की वजह से चुप्पी साधे रहते हैं. इससे फिल्ममेकर्स को भारी नुकसान होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक मल्टिप्लेक्सेस की संख्या बढ़ने के बाद भी, भारत में थियेटर्स जाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है. जिससे सिनेमाहॉल मालिक घबराए हुए हैं.
थिएटर्स मालिकों को इनकम टैक्स में छूट की मांग
गिल्ड ने सरकार से मांग की है कि भारत में मल्टिप्लेक्सेस के सेट अप को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इनकम टैक्स के अधिनियम 80-IB के तहत छूट की मांग की है. जिन मालिकों ने अपने थिएटर्स 2005 के बाद बनवाए हैं उन्हें टैक्स से काफी नुकसान हो रहा है. ऐसे में अगर उन्हें इनकम टैक्स में छूट मिल जाएगा तो उन्हें काफी राहत मिलेगी और इनकम टैक्स में छूट का फायदा लेने के लिए ज्यादा लोग थिएटर्स में इनवेस्ट करेंगे.
लाइन प्रोडक्शन को 2% टैक्स में लाने की मांग
लाइन प्रोडक्शन के तहत वो काम जो टेक्निकल सर्विस के दायरे में नहीं आते हैं उनके लिए इनकम टैक्स के सेक्शन 194C में 2% टैक्स का प्रावधान है लेकिन टैक्स अधिकारी 10% के हिसाब से टीडीएस काटते हैं जिससे लाइन प्रड्यूसर्स को नुकसान हो रहा है. गिल्ड की सरकार से मांग है कि इस कन्फ्यूजन को दूर करके लाइन प्रोडक्शन के लोगों पर 2% टीडीस लगाने की मांग की है.
घाटा होने पर कैरी-फॉरवर्ड की व्यवस्था
बॉलीवुड में फिल्में फ्लॉप होने और प्रोडक्शन में घाटा होने की कहानियां आम हैं. ऐसे में मीडिया और एंटरटेनमेंट में काम करने वाली कंपनियों को अपना घाटा कैरी-फॉरवर्ड करने की सुविधा फिलहाल सरकार ने इस सेक्टर को नहीं दी हैं. ऐसे में कंपनियों की मांग है कि उनको अपना घाटा और नुकसान कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा दी जाए ताकि वो अपने नुकसान की भरपाई कर सकें.
प्रड्यूसर्स को फिल्म बेचने में टैक्स पर छूट की मांग
गिल्ड ने सरकार से ये भी मांग की है कि अगर कोई प्रड्यूसर अपनी फिल्म किसी एक्जिबिटर को बेचता है उस फाइनेंशियल ईयर के 90 दिन के अंदर उसे फिल्म प्रोडक्शन पर क्लेम डिडक्शन का अधिकार मिलना चाहिए.
SEZ में मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स हटाया जाए
जो मीडिया कंपनियां स्पेशल इकोनोमिक जोन में हैं उन पर से सरकार को मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स हटाने की गिल्ड ने सरकार से मांग की है. गिल्ड का मानना है कि भारत में ग्लोबल डिजिटल मीडिया हब बनने की पी संभावनाएं हैं अगर सरकार कंपनियों पर से इस तरह के टैक्ट हटा देगी तो कंपनियों को टैक्स के ज्यादा बोझ से छुटकारा मिल सकेगा.
इसके अलावा विदेशी आर्टिस्ट्स को दिए जाने वाले पैसे में टैक्स सर्टिफिटेक के इश्यू को भी सरकार से सरल बनाने की मांग की है जिससे विदेशी आर्टिस्टों के साथ काम करना देश में आसान हो सकेगा.
अब देखना ये है कि सरकार इनमें से कितनी मांगों पर गौर करके बॉलीवुड की राहों को आसान बनाने की कोशिश करती है.
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