ट्रांसपोर्टरों को एक राज्य से दूसरे राज्य में माल लाने और ले जाने के लिए अलग-अलग मार्ग परमिट (ट्रांजिट पास) की जरुरत नहीं होगी. जीएसटी नेटवर्क ने शुक्रवार को कहा कि फरवरी महीने से ई-वे बिल(इलेक्ट्रॉनिक बिल) पूरे देश में मान्य होंगे.
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 50,000 रुपए से ज्यादा के माल को एक राज्य के अंदर 10 किलोमीटर से अधिक दूर या एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए जीएसटीएन नेटवर्क से इलेक्ट्रॉनिक परमिट (ई-वे बिल) की जरुरत होगी. जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू है.
जीएसटीएन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रकाश कुमार ने कहा, 'ई-वे बिल के लिए करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों को किसी कर कार्यालय जाने की जरूरत नहीं होगी. उसे खुद नेटवर्क से ही प्राप्त कर सकते हैं.'
ई-वे बिल कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड और केरल में शुरू
नई प्रणाली के माध्यम से पोर्टल, मोबाइल एप, संदेश तथा ऑफलाइन उपकरण (टूल) के माध्यम से ई-वे बिल हासिल करने की सुविधा होगी. जीएसटीएन ने बयान में कहा कि ई-वे बिल प्रणाली चार राज्यों- कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड और केरल में शुरू हो चुकी है. ये राज्य कुल मिला कर प्रतिदिन करीब 1.4 लाख ई-वे बिल जेनरेट कर रहे हैं.
बाकि राज्य अगले पखवाड़े (दो हफ्ते) इसमें शामिल हो जाएंगे. 31 जनवरी तक की अवधि सभी हितधारकों के लिए परीक्षण अवधि के रूप में उपयोग की जाएगी.
इसमें कहा गया है कि ई-वे बिल प्राप्त करने वाले ट्रांसपोर्टरों को 'ईवेबिल डॉट एनआईसी डॉट इन' पर जाना होगा और जीएसटीएन देकर खुद को पंजीकृत करना होगा. जो ट्रांसपोर्टर जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं है उन्हें बिल जेनरेट करने के लिए पैन या आधार देकर ई-वे बिल प्रणाली के तहत खुद का नामांकन करना होगा.
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