कमजोर रुपए के चलते ईंधन की कीमतों में तबाही मच रही है. देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी के बाद कमजोर रुपए के चलते सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में भी आग लगने वाली है. वहीं घरेलू नैचुरल गैस की कीमतों में छह माही संशोधन अक्टूबर महीने में होगा जिसके बाद इसकी कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है. घरेलू फील्ड्स से निकलने वाली गैस के बेस प्राइस में 14 फीसदी यानी करीब 3.5 डॉलर (करीब 252 रुपए) प्रति यूनिट बढ़ोतरी का अनुमान है. मार्च 2016 में गैस की कीमतों में सर्वाधिक 3.82 डॉलर (अभी के हिसाब से करीब 275.17 रुपए) प्रति यूनिट बढ़ोतरी हुई थी. आपको बता दें कि नैचुरल गैस की कीमतें गैस सरप्लस मार्केट्स जैसे यूएस, कनाडा, यूके और रूस में मौजूद एवरेज रेट्स के आधार पर हर छह महीने में तय की जाती हैं.
सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में होगी बढ़ोतरी
सूत्रों की मानें तो कमजोर रुपए की वजह से सभी शहरों में सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. रुपए में गिरावट से सीएनजी और पीएनजी सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए नैचुरल गैस महंगी हो जाती है जिससे वह कीमत बढ़ाने को मजबूर होते हैं. दिल्ली और आसपास के इलाके में सीएनजी के एकमात्र सप्लायर इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) ने अप्रैल से सीएनजी की कीमतों को अब तक तीन बार बढ़ाया है. तीन बार बढ़ोतरी में सीएनजी की कीमत कुल 2.89 रुपए प्रति किलो ज्यादा हो गई है. इसमें से आधी बढ़ोतरी 1.43 रुपए प्रति किलो रुपए में गिरावट की वजह से हुई है.
आईजीएल ने अप्रैल में बढ़ाई थी सीएनजी की कीमत
कंपनी के कर्मचारियों के मुताबिक, उनके लिए नैचुरल गैस की बेस प्राइस डॉलर में होती है और रुपए में गिरावट से उनका खर्च काफी बढ़ जाता है. आईजीएल ने रुपए में गिरावट के असर से निपटने के लिए सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में आखिरी बार 1 सितंबर 2018 को बढ़ोतरी की थी. बता दें कि सीएनजी की कीमत में 63 पैसे प्रति किलो और पीएनजी की कीमतों में 1.11 प्रति यूनिट बढ़ोतरी हुई थी. जब सरकार ने घरेलू फील्ड्स से निकलने वाली गैस की कीमतों में 6 फीसदी बढ़ोतरी की थी तो आईजीएल ने अप्रैल में सीएनजी की कीमत 90 पैसे प्रति किलो बढ़ाई थी लेकिन पीएनजी की कीमत में इजाफा नहीं हुआ था. इसके बाद 28-29 मई को गिरते रुपए के असर से निपटने के लिए सीएनजी की कीमत में 1.36 रुपए प्रति किलो इजाफा हुआ था.
रनिंग कॉस्ट पर नहीं होगा असर
तीनों बार जब नैचुरल गैस की कीमतों में इजाफा हुआ तो दिल्ली के पड़ोसी शहरों जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. इसकी वजह राज्य कर का ज्यादा होना था. वहीं आईजीएल के कर्मचारियों का दावा है कि कीमतों में संशोधन का गाड़ियों के प्रति किलोमीटर रनिंग कॉस्ट पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. रनिंग कॉस्ट की बात की जाए तो बढ़ोतरी के बाद भी वह पेट्रोल के मुकाबले 60 फीसदी और डीजल के मुकाबले 40 फीसदी सस्ता होगा. भारत में आधे से ज्यादा गैस का आयात होता है जिसकी कीमत घरेलू कीमत से दोगुनी होती है. भारत में गैस की कीमत इंटरनैशनल हब के औसत मूल्य के आधार पर तय की जाती है.
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