मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की एक दर की संभावना को खारिज कर दिया. हालांकि, उन्होंने राजस्व में स्थिरता के बाद जीएसटी के तीन स्लैब की वकालत की. उन्होंने कहा कि जीएसटी एक ‘कार्य प्रगति पर’ है और कम छूटों तथा आसान नीतियों के जरिए दरों का और सरलीकरण किया जा सकता है.
सुब्रमण्यन ने एनसीएईआर के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में एक दर कभी नहीं हो सकती. मैंने मानक दर की सिफारिश की थी. एक अहितकर सामान और एक निचली दर के लिए थी. उन्होंने कहा कि भारत में बहस इस बात के लिए होनी चाहिए कि क्यों हमारी तीन दरें नहीं हों इस बात के लिए नहीं कि क्यों एक दर न रखी जाए.
जीएसटी व्यवस्था के तहत चार कर स्लैब पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. लग्जरी और अहितकर उत्पादों पर सबसे ऊंचे स्लैब के अलावा उपकर भी लगता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक दर के ढांचे की वकालत करते रहे हैं. सुब्रमण्यन ने कहा कि जीएसटी में एक कर ढांचा तब तक उपयुक्त नहीं है जब तक कि हमारे पास बढ़ती मूल्य से प्रभावित गरीबों के संरक्षण के उपाय नहीं हों.
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