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वीडियोकॉन-ICICI लोन केसः चंदा कोचर के पति और धूत के खिलाफ CBI जांच

सीबीआई ने वीडियोकॉन ग्रुप के अध्यक्ष और चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर ली है. करप्शन या फ्रॉड के मामले में पीई ही जांच की पहली प्रक्रिया होती है

Updated On: Mar 31, 2018 10:50 AM IST

FP Staff

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वीडियोकॉन-ICICI लोन केसः चंदा कोचर के पति और धूत के खिलाफ CBI जांच

देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के खिलाफ सीबीआई  ने सख्त रवैया अपनाते हुए प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की है.

चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों के नियमों की अनदेखी करते हुए अपने पति के दोस्त वेणुगोपल धूत को लोन दिया था. लोन के एवज में धूत ने दीपक कोचर की कंपनी में करोड़ों का निवेश किया. आरोप है कि इससे चंदा कोचर और उनके परिवार को बड़ा लाभ हुआ है.

सीबीआई इस बात की जांच करेगी कि क्या बैंक से लोन मिलने के बाद वीडियोकॉन ग्रुप के अध्यक्ष धूत ने चंदा कोचर के पति की कंपनी को करोड़ों रुपए दिए थे. वर्ष 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से धूत को 3250 करोड़ रुपए का लोन मिला था.

मिली जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने जो प्रारंभिक जांच दर्ज की है उसमें चंदा कोचर का नाम नहीं है. इस मामले के सामने आने के बाद से ही सेबी और सीबीआई नजर बनाए हुए हैं. हालांकि आईसीआईसीआई बैंक ने दो दिन पहले अपनी जांच में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार करते हुए चंदा कोचर को क्लीन चिट दे दी थी.

cbi headquarter

दिल्ली स्थित सीबीआई हेडक्वार्टर

आईसीआईसीआई बैंक पर ये हैं आरोप

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, चंदा कोचर के पति दीपक कोचर, दीपक कोचर के पिता और चंदा कोचर की भाभी ने मिलकर वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के साथ मिल कर आधे-आधे हिस्सेदारी की एक कंपनी खोली, जिसका नाम NuPower था.

इस कंपनी में वेणुगोपाल धूत ने 64 करोड़ रुपए का निवेश किया. इसके कुछ महीनों बाद वेणुगोपाल धूत ने आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपए का लोन लिया.

अखबार की खबर के मुताबिक, लोन मिलने के कुछ महीने बाद धूत ने अपनी एक कंपनी सुप्रीम एनर्जी का मालिकाना हक अपने एक साथी के माध्यम से दीपक कोचर द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को मात्र 9 लाख रुपए में दे दिया.

आईसीआईसीआई बैंक से जो लोन धूत को मिला था उसमें से उन्होंने कुछ चुका दिए लेकिन बाकी के पैसे वो नहीं दिए. बाकी के पैसे लगभग 2810 करोड़ रुपए थे. जिसे आईसीआईसीआई बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया.

जिस तरह से इस पूरे प्रक्रिया को अंजाम दिया गया उससे बैंक पर मिली भगत के आरोप लगे हैं. उसी के सिलसिले में सीबीआई ने प्रिलिमिनरी इन्कॉयरी (पीई) दर्ज की है. करप्शन या फ्रॉड के मामले में पीई ही जांच की पहली प्रक्रिया होती है.

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