केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कहा गया है कि देश में अब पुराने नोट नहीं बदले जाएंगे. केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि पुराने नोटों को बदलने के लिए अब और मौका नहीं दिया जा सकता.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे कहा है कि यदि ऐसा अब किया जाएगा तो नोटबंदी जिस मकसद से किया गया था उसका मकसद ही नहीं बचेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केन्द्र सरकार से पूछा था कि क्या पुराने नोटों को बदलने के लिए कोई व्यवस्था की जा सकती है? सुप्रीमकोर्ट के इस रुख के बाद ऐसे लोगों को उम्मीदें बंध गई थी जिन लोगों ने किन्हीं कारणों से अभी तक पुराने नोट नहीं बदले थे.
मोदी सरकार ने पिछले महीने ही बैंकों, पोस्ट ऑफिस और जिला केंद्रीय कोपरेटिव बैंकों को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट आरबीआई में जमा करने की इजाजत दी थी. वित्त मंत्रालय की तरफ से इसके बारे में एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि 30 दिनों के अंदर-अंदर पैसे जमा कराए जा सकते हैं. जिसकी मियाद अब पूरी हो गई.
ऐसा माना जा रहा है कि सहकारी बैंकों के पास पुराने नोट काफी संख्या में पड़े हैं और ऐसे मामले महाराष्ट्र में विशेष तौर पर सामने आए हैं. बैंकों का कहना है कि वे किसानों को इसके चलते कैश नहीं दे पा रहे हैं.
पुराने नोटों का क्या होगा?
नोटबंदी के 8 महीने बीत जाने के बाद भी उनके पास पुराने नोटों के बंडल हैं. जिन्हें, वे एक्सचेंज नहीं करवा पाए और अब सरकार के इस हलफनामे से उन लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जो लोग नोटबंदी से बंद हुए 500 और 1000 के पुराने नोट नहीं बदल पाए हैं, क्या उन्हें दोबारा मौका मिल सकता है? कोर्ट ने केंद्र से उन लोगों की मदद के लिए जवाब मांगा है, जो तय समय सीमा के भीतर पुराने नोट नहीं बदल पाए थे.
18 जुलाई को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के सवाल के बाद केंद्र ने अदालत से 10 दिन का वक्त मांगा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते का समय दिया था. इस मामले की अगली 18 जुलाई को होने वाली है. 18 जुलाई को ही तय हो सकेगा कि जिन लोगों के पास पुराने बंद हो चुके करेंसी नोट हैं उनका क्या किया जाएगा.
हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल वही बदले जाएंगे जिनके धारक यह साबित कर सकेंगे कि उनके पास रखी रकम पूरी तरह से वैध है.
कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के पास वाजिब कारण है नोट बदलने का उन्हें परेशानियों का सामना करने का मतलब नहीं बनता. इसलिए उन्हें नोट बदलने का मौका दिया जाना चाहिए.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को आधी रात से देश में नोटबंदी लागू की थी. जिसके बाद से ही बैंकों के बाहर नोट बदलने के लिए लंबी कतारें लग गई थी और कईयों की मौत भी हो गई थी.
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