सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी देश के चार बड़े बंदरगाहों के जरिए मिलकर बनाई गई एक इकाई को बेचने का फैसला किया है.
बंदगाहों पर जहाजों की आवाजाही के रास्ते से गाद निकालने का काम करने वाली इस कंपनी में फिलहाल केंद्र सरकार की 73.44 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसमें सरकारी हिस्सेदारी बेचने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में लिया गया. बैठक के बाद सरकार की ओर से ट्वीटर पर जारी एक बयान में कहा गया है कि 'सीसीईए ने डीसीआईएल में भारत सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी चार बंदरगाहों के एक समूह को बेचने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.'
Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) has approved strategic disinvestment of 100% Govt. of India’s equity in the Dredging Corporation of India Ltd.
— ANI (@ANI) November 8, 2018
इन बंदरगाहों में विशाखापत्तनम बंदरगाह न्यास, पारादीप बंदरगाह न्यास, जवाहरलाल नेहरू बंदगाह न्यास और कांडला बंदरगाह न्यास शामिल हैं. बयान में कहा गया है कि इस विनिवेश से बंदरगाहों पर गाद निकालने के काम में समन्यवय बढ़ेगा. इससे ये बंदरगाह किसी अन्य बंदरगाह की गाद निकालने का भी ठेका ले सकेंगे. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 80 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. अब तक वह सार्वजनिक उपक्रमों में अपने शेयर बेच कर इस मद में 15,000 करोड़ रुपए जुटा चुकी है.
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