1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्री अरुण जेटली के जरिए देश का बजट पेश किया जाएगा. कई क्षेत्रों के हितधारक इस बजट में अपने लिए घोषणाओं की उम्मीदें लगाए बैठे हैं. वहीं बीमा सेक्टर को भी इस बजट से काफी उम्मीदें है. विशेषज्ञों का कहना है कि देश के बीमा उद्योग के आगे कुछ चुनौतियां हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. बीमा सेक्टर में 50 से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं,
बजट पेश होने से पहले उद्योग निकाय फिक्की ने कहा है कि बीमाकर्ताओं को अनिश्चित काल के लिए आगे और पीछे होने वाले व्यवसायिक नुकसान की भरपाई करने की अनुमति दी जानी चाहिए. फिक्की ने कहा कि बीमा उद्योग में लंबी अवधि होती है और ब्रेक-ईवन हासिल करने में लंबा समय लगता है. इसलिए व्यापार को आगे बढ़ाने और सेट-ऑफ करने के लिए आठ साल की सीमा पर्याप्त नहीं है.
साथ ही बीमा सेक्टर के लिए फिक्की ने कुछ सुझाव दिए हैं. जिनमें बीमा कंपनियों के जरिए स्थापित पेंशन फंड में सालाना परिपक्वता आय से छूट प्राप्त शामिल है. वहीं फिक्की का कहना है कि इस बजट में इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 10 (10 डी) के तहत छूट को पॉलिसी की अवधि से जोड़ा जाना चाहिए.
वहीं अनपेक्षित जोखिमों के लिए रिजर्व की सीमा रिवाइज की जानी चाहिए. साथ ही मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के जरिए दिए जाने वाले मुआवजे पर ब्याज घटक को बाहर करने के लिए धारा 194 ए में संशोधन किया जाना चाहिए.
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