भारत में बिटकॉइन आम चर्चा का विषय तब बना था, जब साल 2016 के आखिर में दुनिया भर में साइबर हैकिंग हुई थी और हैकरों ने फिरौती की मांग बिटकॉइन यानी डिजिटल करेंसी में की थी. बिटकॉइन इस वक्त दुनिया भर में चर्चा के विषयों में से एक है.
बिटकॉइन डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी है- यानी वर्चुअल करेंसी. यहां आप थोड़ी देर में अमीर हो सकते हैं और सेकेंडों में आपकी वर्चुअल तिजोरी खाली हो सकती है.
इस वर्चुअल करेंसी का कोई मतलब क्यों नहीं है? क्यों आपका हजारों का निवेश चुटकियों में आपको कंगाल कर सकता है. यहां आपका हजारों करोड़ों में बदल सकता है, लेकिन फिर भी आपको इसमें निवेश नहीं करना चाहिए. क्यों? हम बता रहे हैं.
2008 में पूरी दुनिया में फैली आर्थिक मंदी ने पूंजी पर एकाधिकार के खतरे सामने ला दिए थे. ये मंदी काफी बड़ी थी, और कहा जा सकता है कि इसी ने बिटकॉइन की नींव रखी.
बिटकॉइन की व्यवस्था को इस तरह रखा गया कि उस पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का कंट्रोल न रहे. इसके ट्रांजैक्शन को भी काफी पारदर्शी रखा गया. लेकिन इसकी यही खूबी इसे खतरनाक भी बनाती है. बिटकॉइन में निवेश किए गए आपके पैसी की कोई जवाबदेही नहीं होती. अगर आपके पैसे डूब गए तो इसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है.
और एक सबसे बड़ी बात अजनबियों के साथ ट्रांजैक्शन का है. अगर आपने किसी के साथ ट्रांजैक्शन किया तो ये बात उस शख्स पर निर्भर करेगी कि वो आपको आपकी रकम लौटाना चाहता है या नहीं. सामने वाला शख्स आपका रकम लौटाने से मना कर सकता है और आप इस बारे में कुछ नहीं कर सकते. इसको ऐसे समझ सकते हैं- मान लीजिए, आपने किसी से सुनार से गोल्ड खरीदा. कुछ सालों में उसकी रकम दस गुना बढ़ गई और आप इसे दोबारा बेचना चाहें, तो आपको बेचने वाला शख्स ही इसे खरीदने से मना कर सकता है और आप इस बारे में कुछ नहीं कर सकते. ये कुछ वैसा ही है कि आपके पास करोड़ों की संपत्ति पड़ी हो और उसे खरीदने वाला कोई नहीं हो.
अगर किसी ने आपके कंप्यूटर या आपके वर्चुअल वॉलेट को हैक कर लिया तो आपकी करोड़ों की रकम सेकेंडों में छू हो जाएगी. वहीं ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना भी लगभग असंभव है. इसके अलावा बिटकॉइन का कोई भरोसा नहीं होता कि कब ये डूब जाए और इसकी कीमत भी बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होती है इसलिए इसमें निवेश करना खतरे से खाली नहीं.
साथ ही इसे कैश कराना इतना मुश्किल है कि बिटकॉइन वॉलेट जरूरत पड़ने पर कुछ नंबरों के अलावा कुछ नहीं है. वैसे भी, बिटकॉइन की दुनिया हवा के रुख के हिसाब से चलती है. यहां क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी कोई भी अच्छी खबर इसकी कीमत बढ़ा सकती है और कोई भी बुरी खबर इसकी कीमत गिरा सकती है.
बिटकॉइन का इस्तेमाल अब तक मनी लॉन्ड्रिंग या हथियारों की खरीददारी के लिए ही इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन अब दुनियाभर में लोगों का ध्यान इस तरफ गया है. अब हर रोज बिटकॉइन में पैसे लगाने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. साथ ही इसकी कीमत में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. 2009 में एक हजार बिटकॉइन में एक पिज़्जा खरीदा गया था और आज एक बिटकॉइन की ही कीमत 10,76,988 भारतीय रुपए है.
एक आखिरी बात जो आपको बिल्कुल ध्यान में रखनी चाहिए वो ये कि, बिटकॉइन की कीमत आज ऊपर जा रही है, तो कभी नीचे भी आएगी. इसलिए, अमीर होने के चक्कर में इसमें अपने जीवन भर की पूंजी मत लगाइए, उतना ही निवेश करिए, जितने का नुकसान आप झेल सकते हैं.
बिटकॉइन के बारे में कुछ दिलचस्प बातें हैं, जो आपको जाननी चाहिए-
- बिटकॉइन पहली बार 2008 में दुनिया भर में फैली आर्थिक मंदी के बाद 2009 में अस्तित्व में आया. इसे सातोषी नाकामोटो ने बनाया था. हालांकि, कोई इस शख्स को नहीं जानता. कभी सातोषी नाकामोटो नाम का शख्स सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है.
- इस करेंसी पर किसी प्रकार का कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं है. दरअसल, इस करेंसी पर किसी का एकाधिकार नहीं है. इसे कोई व्यक्ति विशेष कंट्रोल नहीं कर सकता.
- दुनिया भर में पहली बार बिटकॉइन में ट्रांसजैक्शन 2009 को 12 जनवरी को हुआ था. ये ट्रांजैक्शन सातोषी और हैल फिने के बीच हुआ था. फिने ने बिटकॉइनपोस्टटॉक्स में इस ट्रांजैक्शन के बारे में बताया था, 'जैसे ही सातोषी ने बिटकॉइन के बारे में घोषणा की, मैंने तुरंत ही इस मौके को झपट लिया. मैं उस वक्त बिटकॉइन रन करने वाला सातोषी के बाद पहला शख्स था. सातोषी ने मुझे 10 बिटकॉइन भेजे. मैंने कुछ दिनों तक माइनिंग की. लेकिन मेरा कंप्यूटर गर्म हो गया था, इसलिए मैंने प्रोग्राम को बंद कर दिया था. मुझे अफसोस है इसका, लेकिन खुशी है कि मैं शुरूआती लोगों में से था और मैंने इसे बढ़ते हुए देखा.'
- 2010 में 1000 बिटकॉइन से 30 डॉलर के पिज्जा खरीदे गए थे.
- बिटकॉइन डिमांड और सप्लाई की पद्धति पर काम करता है. इसे इस तरह बनाया गया है कि वर्चुअल दुनिया में 21 करोड़ बिटकॉइन ही उपलब्ध हैं. अब तक लगभग 1 करोड़ बिटकॉइन्स की माइनिंग की जा चुकी है. अभी इनके खत्म होने में वक्त है, लेकिन जिस तरह डिमांड बढ़ रही है, इनके सप्लाई में उतनी ही मुश्किलें आने वाली हैं.
- बिटकॉइन माइनिंग- बिटकॉइन से जुड़ा एक अहम टर्म है. इंटरनेट पर बिटकॉइन बनाने को बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता है.
- दुनिया को उनके पहले बिटकॉइन बिलिनेयर्स भी मिल गए हैं. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो कथित रूप से फेसबुक का आइडिया ईजाद करने वाले जुड़वां भाई विंकलवॉस ब्रदर्स दुनिया के पहले बिटकॉइन अरबपति हैं. इन भाइयों ने फेसबुक के फाउंडर मार्क ज़करबर्ग पर फेसबुक का आइडिया उनसे चुराने के आरोप में मुकदमा किया था. उन्हें मुआवजे में 6.5 करोड़ की रकम मिली थी. इन भाइयों के पास 1 बिलियन डॉलर की कीमत के बिटकॉइन हैं.
- इन भाइयों के अलावा अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी एफबीआई के पास भी बिटकॉइन का एक अच्छा खासा खजाना है. बिटकॉइन का इस्तेमाल गोरखधंधों में ज्यादा किया जाता रहा है. इन कामों के लिए बनाई गई थी वेबसाइट सिल्क रोड. एफबीआई ने इस वेबसाइट को बंद कर दिया और इसकी सारी रकम सीज कर दी. यानी अब वो रकम एफबीआई के पास है. इसकी कीमत 12 करोड़ के आसपास है.
- दुनिया भर में कहीं-कहीं कुछ जगहों पर बिटकॉइन को फिजिकली भी इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन चूंकि इसके ट्रांजैक्शन को किसी सरकार ने मान्यता नहीं दी है, इसलिए इसका चलन अभी बढ़ा नहीं है. अमेरिका के लास वेगस के किसी-किसी कसीनो में बिटकॉइन के एटीएम भी उपलब्ध हैं.
- सबसे ज्यादा बिटकॉइन की माइनिंग पोलैंड में होती है.
- यूरोपीय देश साइप्रस की राजधानी निकोसिया की यूनिवर्सिटी ऑफ निकोसिया और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के द किंग्स कॉलेज में बिटकॉइन एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता है.
- नेदरलैंड के शहर हेग में है बिटकॉइन चौराहा. यहां आप बिटकॉइन से शॉपिंग कर सकते हैं, डिनर कर सकते हैं. ऐसा ही एक बाजार अमेरिका के ओहायो में भी बनाया गया है.
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