ई-कॉमर्स नीतियों में किए गए बदलावों को लेकर बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां सरकार का दरवाजा खटखटा सकती है और नियम लागू करने की समयसीमा को एक फरवरी से आगे बढ़ाने की मांग कर सकती हैं. मामले से जुड़े सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.
कंपनियों का मानना है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़ी नीतियों में जो बदलाव किए गए उनका पालन करने और उनको परिचालन में लाने के लिए कम से कम 4 से 5 महीने चाहिए.
बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परिचालन के मोर्चे पर फिर से काम करने के लिये कंपनियों को कम से कम 4 से 5 महीनों की जरुरत होगी. इसे देखते हुए एक फरवरी तक की समयसीमा काफी नहीं है.
नियमों का ऐलान 26 दिसंबर को किया गया था:
अधिकारी ने कहा कि 26 दिसंबर को नए नियमों का ऐलान किया गया था और कंपनियों को इन बदलावों को लागू करने के लिए सिर्फ एक महीने का समय दिया गया है. बहुत से मामलों में मौजूदा भागीदारियों पर फिर से काम करने, कारोबारी प्रारूप में अमूलचूल परिवर्तन करने की जरुरत है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कंपनियां नियमों में किए गए बदलाव का विस्तार से अध्ययन कर रही है और आने वाले हफ्तों में वह इसे लेकर सरकार के पास जा सकती हैं.
मामला संवेदनशील होने के नाते अधिकारियों ने अपना नाम नहीं बताया है. वहीं, अमेजन और फ्लिपकार्ट ने ई-मेल का कोई जवाब नहीं दिया.
उल्लेखनीय है कि सरकार के ई-कॉमर्स नियमों को सख्त करने की सबसे ज्यादा मार फ्लिपकार्ट और अमेजन पर पड़ी है. नए नियमों के तहत विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियां उन कंपनियों के उत्पाद नहीं बेच सकती जिनमें वह खुद हिस्सेदार हैं. इसके अलावा विशेष पेशकशों और भारी छूट पर भी रोक लगायी गयी है.
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