पीएनबी घोटाले का सीधा असर फाइनेंसियल इयर 2017-18 के अंतिम तिमाही पर दिखेगा. घोटाला प्रभावित कंपनी गीतांजलि जेम्स के कारण 31 मार्च को समाप्त तिमाही में बैंकों के एनपीए में कम से कम आठ हजार करोड़ रुपए का इजाफा होने वाला है.
सूत्रों ने कहा कि बैंकों को पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिए सिर्फ गीतांजलि जेम्स को लेकर आठ हजार करोड़ रुपए के प्रावधान करने होंगे.
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान एनपीए बनने वाले बड़े कर्ज खातों में गीतांजलि भी शामिल है.
दिसंबर तिमाही तक बैंकों का समग्र एनपीए 8,40,958 करोड़ रुपए था. इसमें सर्वाधिक हिस्सेदारी औद्योगिक कर्जे की थी.
आईडीबीआई बैंक ने बनाई एनपीए से निपटने की योजना
दूसरी तरफ बढ़ते एनपीए से निपटने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक ने अपनी वित्तीय सेहत सुधारने और एनपीए में कमी लाने के लिए विस्तृत रूपरेखा बनाई है. रिजर्व बैंक ने हाल में आईडीबीआई बैंक को पत्र भेजकर उसकी विभिन्न कमजोरियों का जिक्र किया है.
सूत्रों ने कहा कि बैंक ने अपना पूंजी आधार मजबूत करने के लिए कई गैर प्रमुख संपत्तियों और रीयल एस्टेट संपत्तियों की पहचान कर उन की बिक्री की योजना पर काम कर रहा है.
रीयल एस्टेट परिसंपत्तियों के मामले में आईडीबीआई बैंक सबसे अमीर बैंकों में से एक हैं. पिछले महीने बैंक ने मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर में स्थित अपनी एक इमारत को सेबी को 1,000 करोड़ रुपए में बेचने के लिए सौदा किया है.
इससे पहले 27 मार्च को बैंक को सरकार की तरह से 7,881 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश मिला है. यह भारत सरकार द्वारा 2017-18 में आईडीबीआई बैंक में 10,610 करोड़ रुपए की पूंजी डालने की घोषणा के तहत शेष बीच राशि थी. पिछले साल बैंक में 2,729 करोड़ रुपए डाले गए थे.
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