घरेलू बैंकों को कर्ज कारोबार तेज करने के लिए जमा खातों में मार्च 2020 तक 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाने की आवश्यकता होगी. इसके लिए उन्हें जमाकर्ताओं को और ऊंचे ब्याज की पेशकश करनी पड़ सकती है. घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा कि जमा जुटाने में निजी क्षेत्र के मजबूत बैंकों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत तक होगी.
पिछले कुछ साल में जमा वृद्ध दर घटी है, जिसका कारण अन्य निवेश विकल्पों के मुकाबले मियादी जमा पर ब्याज दर का कम होना है. बैंक पिछले कुछ साल से औसतन 7 लाख करोड़ रुपए सालाना प्राप्त कर रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि अतिरिक्त जमा जरूरतों से बैंकों के लिए जमा पर अधिक ब्याज दर देने का दबाव बढ़ेगा. शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, अन्य निवेश विकल्पों में प्रवाह में नरमी और हाल में बैंक जमा दरों में वृद्धि से घरेलू वित्तीय बचत बैंक के पास जमा के रूप में फिर से आ सकता है.
क्रिसिल की निदेशक रमा पटेल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में जमा दरों में औसतन 0.40 से 0.60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इससे कोष की लागत बढ़ेगी. जैसा कि पूर्व में देखा गया, बैंक कर्ज मांग को गति देने के लिये सांवधिक तरलता अनुपात के अलावा अतिरिक्त निवेश के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर भरोसा करेंगे. लेकिन साथ में अपना जमा भी बढ़ाना होगा.
एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में कर्ज में 13 से 14 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है. वहीं 2017-18 में यह 8 प्रतिशत रहा था. इसके परिणामस्वरूप जमा में 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान है जो 2017-18 में 6 प्रतिशत था. हालांकि इस वृद्धि के बावजूद यह 2006-07 के 25 प्रतिशत के ऐतिहासिक स्तर से काफी नीचे रहेगा.
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