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इस महीने देर से आएगी आपकी सैलरी... क्योंकि 30, 31 मई को बैंक बंद हैं!

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और प्राइवेट बैंकों के देश भर के लगभग 10 लाख कर्मचारी अपने वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 30 और 31 मई को हड़ताल पर जाने वाले हैं

Updated On: May 29, 2018 04:50 PM IST

FP Staff

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इस महीने देर से आएगी आपकी सैलरी... क्योंकि 30, 31 मई को बैंक बंद हैं!

अगर आप जरूरी काम से बैंक जाने की सोच रहे हैं तो उसे आज ही निपटा लीजिए क्योंकि अगले दो दिन तक देश भर के बैंकों की हड़ताल है. बैंकों की इस हड़ताल से लोगों की इस महीने की सैलरी देरी से आ सकती है. साथ ही एटीएम से लेनदेन (ट्रांजैक्शन) पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है.

बैंक कर्मचारी अपने वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 30 और 31 मई को हड़ताल पर जाने वाले हैं. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन के महासचिव डीटी फ्रैंको ने करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों के इस हड़ताल में शामिल होने की संभावना जताई है. सरकार और इंडियन बैंक असोसिएशन (आईबीए) के अड़ियल रवैये के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने यह हड़ताल बुलाई है.

इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सभी सरकारी (राष्ट्रीयकृत) बैंक, प्राइवेट बैंक और कुछ विदेशी बैंक भी शामिल होंगे. आईबीए ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों की सैलरी में केवल 2 फीसदी की वृद्धि का पेशकश की है, जिसका बैंक कर्मचारी संघों ने विरोध किया है.

Commuters walk past an advertisement of Bank of Baroda at a busy street in New Delhi

सोमवार को एडिश्नर चीफ लेबर कमिश्नर राजन वर्मा ने बैंक यूनियन से बातचीत कर हड़ताल को टालने के लिए समन्वय बनाने की कोशिश की लेकिन उनकी यह कोशिश नाकाम साबित हुई. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई अन्य बैंकों ने इस संभावित हड़ताल के बारे में अपने ग्राहकों को पूर्व सूचना दे दी थी.

'यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन' के संयोजक देवीदास तुलजापुरकर ने इस प्रस्‍ताव का विरोध करते हुए कहा कि बैंकों को जो नुकसान हो रहा है, उसका कारण एनपीए यानी बैड लोन है. इस नुकसान के लिए बैंक कर्मचारी कहीं से जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि बीते 2-3 साल से बैंक कर्मचारियों ने सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे जन-धन, नोटबंदी, मुद्रा योजना और अटल पेंशन योजना समेत अन्य योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने में बड़ी भूमिका निभाई है. इससे कर्मचारियों पर काम का बोझ काफी बढ़ा है.

साफ है कि बैंक कर्मचारी अगर 30 और 31 मई को देशव्यापी हड़ताल पर जाने के अपने फैसले पर अडिग रहते हैं तो इसका असर न सिर्फ व्यापार बल्कि आम लोगों पर भी पड़ेगा.

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