नोटबंदी के एक साल बाद भी एटीएम सर्विसिंग कंपनियों (सीआईटी) को एटीएम प्रणालियों में बदलाव करने के काम का बैंकों ने अभी तक 25 करोड़ की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. इन कंपनियों को नोटबंदी के दौरान अतिरिक्त सेवाओं के एवज में भुगतान किया जाना है. कैश लॉजिस्टिक एसोसिएशन (सीएलए) ने इस बात की जानकारी दी.
सीएलए के महासचिव यूएस पालीवाल ने कहा कि इन कंपनियों ने पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों को एटीएम से निकालने और करीब 1.5 लाख एटीएम को नए पांच सौ और दो हजार रुपए के नोटों के हिसाब से परिवर्तित करने के लिए अतिरिक्त सेवाएं प्रदान की थीं. इस काम में नौ कंपनियां शामिल थीं.
उन्होंने कहा कि इन कंपनियों की ओर से कई बार निवेदन करने के बाद भी अब तक केवल 60 प्रतिशत राशि का भुगतान किया गया है. सीएलए ने इस मुद्दे पर भारतीय बैंक एसोसिएशन (आईबीए) से भी संपर्क किया था.
पालीवाल ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कंपनियों के प्रयासों को सराहा था और आईबीए ने सदस्य बैंकों को कंपनी के प्रयासों और सेवाओं के एवज में 4000 रुपये प्रति एटीएम का भुगतान करने के निर्देश दिए थे.
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