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World AIDS Day: Over 14 million unaware of HIV infection; WHO recommends self-testing

दुनिया में करीब 3 करोड़ 50 लाख लोग एचआईवी/एड्स के कारण जान गंवा चुके हैं

Pawas Kumar

एड्स के खिलाफ जंग में सबसे बड़ी चुनौती अभी भी इसको लेकर जागरूकता की कमी है. विश्व एड्स दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर जारी आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में अभी एचआईवी से पीड़ित 40 फीसदी लोगों को यह पता नहीं है कि वे इस वायरस के शिकार हो गए हैं. करीब 1 करोड़ 40 लाख से अधिक लोग नहीं जानते कि उन्हें एचआईवी/एड्स है.

दुनियाभर में एचआईवी का खतरा झेल रहे अधिकतर लोगों के पास अभी भी उचित जांच प्रक्रिया तक पहुंच नहीं है. डब्लयूएचओ ने विश्व एड्स दिवस के मौके पर एचआईवी जांच की पहुंच बढ़ाने के लिए खुद की जांच यानी सेल्फ टेस्टिंग के नए दिशानिर्देश जारी किए हैं.


डब्लयूएचओ की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फिलहाल करीब 1 करोड़ 80 लाख एचआईवी पीड़ित लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरपी (एआरटी) ले रहे हैं. हालांकि करीब इतने ही लोग इस जीवन बचाने वाली थेरपी से महरूम भी हैं.

HIV/AIDS

संगठन की महानिदेशक मार्गरेट चैन ने बताया कि करोड़ों लोग लोग अभी भी एआरटी जैसी थेरपी से दूर हैं. अगर इन तक यह इलाज पहुंच सके तो उनसे किसी और एचआईवी संक्रमण होने की संभावना को भी कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सेल्फ टेस्टिंग के जरिए अधिक से अधिक लोगों के अपना एचआईवी स्टेटस जानने की राह खुलेगी और इससे इलाज की संभावनाओं का विस्तार और संक्रमण के खतरे में कमी की जा सकेगी.

क्या है एचआईवी सेल्फ टेस्टिंग

एचआईवी सेल्फ टेस्टिंग में लोग अपने मुंह की लार या उंगली से लिए खून के जरिए गोपनीय तरीके से अपनी एचआईवी जांच कर सकेंगे. इसके नतीजे 20 मिनट में आ जाते हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जो इस टेस्ट में एचआईवी पॉजिटिव आते हैं उन्हें फौरन स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर विस्तृत जांच करानी चाहिए. संगठन ने एचआईवी सेल्फ टेस्टिंग किट के वितरण को बढ़ावा देने और उन तक पहुंच को सस्ता बनाने का आह्वान किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दस वर्षों में एचआईवी के शिकार लोगों के बीच उनकी स्थिति को लेकर जागरुकता 12 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी हो गई है. एचआईवी पॉजिटिव पाए गए लोगों में 80 फीसदी के पास एआरटी पहुंच रही है.

आंख खोलने वाले आंकड़े

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि औरतों के मुकाबले मर्दों में एचआईवी जांच की पहुंच कम है. एचआईवी की जांच कराने वालों में केवल 30 फीसदी मर्द हैं. ऐसे में उन तक एआरटी जैसे इलाज के पहुंचने की संभावना कम है. यही कारण है कि एड्स से मरनेवालों में मर्द अधिक हैं.

हालांकि पूर्वी और दक्षिण अफ्रीकी देशों में महिलाओं के बीच एचआईवी संक्रमण की दर मर्दों के मुकाबले 8 गुना ज्यादा है.

15 से 19 साल की किशोरियों के बीच 5 में से एक से भी कम को अपने एचआईवी स्टेटस की जानकारी होती है.

एचआईवी का सर्वाधिक खतरा झेलने वाले समूह जैसे सेक्स वर्कर्स, ट्रांसजेंडर्स, मादक पदार्थों का सेवन करने वालों और कैदियों में एचआईवी जांच के आंकड़े बेहद नीचे हैं. डराने वाली बात यह है कि हर साल 1 करोड़ 90 लाख नए एचआईवी संक्रमणों से 44 फीसदी इन्हीं समूहों से हैं.

दुनिया में फिलहाल केवल 23 देशों में एचआईवी सेल्फ टेस्टिंग को लेकर राष्ट्रीय नीतियां हैं. जहां कई देश इस पर नीतियां बनाने की तैयारी में हैं, वहीं अभी भी एचआईवी सेल्फ टेस्टिंग को लेकर विस्तृत जागरुकता की भारी कमी है.

दुनिया में अब तक करीब 3 करोड़ 50 लाख लोग एचआईवी/एड्स के कारण जान गंवा चुके हैं. 2015 में इससे मौत का आंकड़ा करीब 10 लाख रहा था.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)