view all

पीएम मोदी से ज्यादा शिंज़ो आबे को थी भारत दौरे की जरूरत

आबे को अगर फिर पीएम बनना है तो उन्हें अपना पूरा जोर लगाना होगा जिसमें पीएम मोदी भी उनकी सहायता कर सकते हैं

FP Staff

भारत में जापानी पीएम शिंज़ो आबे के आने के बाद उनका जोरदार स्वागत-सत्कार हुआ. लेकिन जिस बात की हर कोई चर्चा कर रहा है वो ये है कि जापानी पीएम जब से आए हैं तब से उनके कार्यक्रम ऐसे लग रहे हैं जैसे कोई चुनावी अभियान हो.

चाहे बुधवार को साबरमती आश्रम में हुआ उनका रोड शो हो या गुरुवार को दिए गए उनके दो भाषण, ऐसा लग रहा था मानो आबे भी चुनावी मौसम का लुत्फ़ उठा रहे हों. कई लोगों का ऐसा भी मानना था कि पीएम मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में 2 महीने बाद होने वाले चुनाव के मद्देनजर ऐसा कार्यक्रम बनाया था.


लेकिन दरअसल बात ये है कि जितनी मोदी को आबे की जरूरत है, उससे ज्यादा आबे को मोदी की जरूरत है. जापान में उनकी लोकप्रियता में लगातार गिरावट आ रही है. जुलाई में उन्हें एक और झटका तब लगा जब उनका प्रशासन टोक्यो का क्षेत्रीय चुनाव हार गया.

आबे को लगे हैं राजनीतिक झटके

टोक्यो के क्षेत्रीय चुनाव में जीत हुई नई 'टोक्यो फर्स्ट' पार्टी की. यह पार्टी पूर्व एलडीपी नेता युरिको कोइके चलाती हैं. एलडीपी शिंज़ो आबे की ही पार्टी है. अगस्त में पूर्व रक्षा मंत्री और आबे के उत्तराधिकारी माने जा रहे तोमोमी इनाडा को एक बड़े करप्शन स्कैंडल के कारण इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्हें कैबिनेट फेरबदल में पार्टी में अपने विरोधियों को भी जगह देनी पड़ी.

इसके अलावा पूर्व विदेश मंत्री फूमियो किशिदा पार्टी में बड़े पद पर पहुंच गए. माना जा रहा है कि वह अगले चुनावों से पहले पार्टी के नेता के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं.

जिस करप्शन स्कैंडल में उनके करीबी इनाडा को इस्तीफा देना पड़ा उसमें आरोप ये था कि आबे की पत्नी आकी आबे ने एक स्कूल के लिए एक मिलियन येन दान दिए थे और जमीन भी बेहद मामूली कीमत में दे दी थी. हालंकि जांच में पीएम या उनकी पत्नी को सीधा गुनहगार नहीं बताया गया पर जापान में ऐसा माना जा रहा है कि वो बस थोड़े से बच गए.

यह भी माना जा रहा है कि टोक्यो की गवर्नर कोइके पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी ठोकने वाली हैं. वह जापान में हाथों-हाथ ली जा सकती हैं क्योंकि जापान में अब तक कोई महिला पीएम नहीं हुई है. इससे यह साफ हो जाता है कि आखिर क्यों जापान के अखबारों में पहले पन्ने पर मोदी और आबे के रोड शो की तस्वीरें और आर्टिकल्स थीं.

आबे कर रहे हैं हर कोशिश

इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ समय पहले कहा था कि जापान को अपनी सुरक्षा के लिए कीमत अदा करनी होगी. नॉर्थ कोरिया की तरफ से लगातार आ रही धमकियां और उकसावे भी जापानी लोगों के मन में आशंका पैदा कर रहे हैं. नॉर्थ कोरिया ने तो एक मिसाइल जापान के ऊपर से भी छोड़ दी थी जिसे जापानी इंटरसेप्टर मिसाइलों ने नष्ट करने की कोशिश भी नहीं की.

अब पीएम आबे की बहुचर्चित थ्योरी 'आबेनोमिक्स' लगातार फेल होती जा रही है. ऐसे में 2018 में आबे को पीएम के रूप में अगर तीसरा मौका चाहिए तो उन्हें अपना पूरा जोर लगाना होगा. ऐसे में उनके लिए इससे बेहतर क्या हो सकता कि वो उनकी सहायता लें जो उनके पुराने दोस्त हैं- पीएम मोदी.

(साभार: न्यूज़18 से जाका जैकब की रिपोर्ट)