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ट्रंप वैसे ही हैं जैसे भारत के लिए मोदी और महाराष्ट्र के लिए राज ठाकरे

अमेरिका में ट्रंप ने ठाकरे के ‘मराठी मानुष’ की तर्ज पर ‘अमेरिकी मानुष’ जैसी राजनीति की है और मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ की देखा-देखी ‘मेक इन अमेरिका’ पर जोर दिया है

Dinesh Unnikrishnan

डोनाल्ड ट्रंप की कौन सी बात एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलती है. ज्यादा तो नहीं, लेकिन ट्रंप ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए इन दोनों के कुछ आइडिया तो जरूर चुराए हैं.

मिसाल के तौर पर, अमेरिका में ट्रंप ने ठाकरे के ‘मराठी मानुष’ की तर्ज पर ‘अमेरिकी मानुष’ जैसी राजनीति की है और मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ की देखा-देखी ‘मेक इन अमेरिका’ पर जोर दिया है.


ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिका से बाहर की सब चीजों को खराब बताया और नफरत भरे अपने भाषणों से ‘अमेरिकी मानुष’ वाले अपने रुख को मजबूत किया है. फर्क सिर्फ इतना है कि उन्होंने इसको ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नाम दिया है. इसके तहत उन्होंने सारी नौकरियां स्थानीय अमेरिकी लोगों को देने की बात की, भले ही विदेशी कर्मचारियों का कुछ भी हो.

ट्रंप ने कहा कि वो नौकरियां देश से बाहर नहीं जाने देंगे. भारतीयों को नौकरी देने वाली आईबीएम जैसे कंपनियों पर भी उनकी तिरछी नजर है. जिस तरह मोदी ‘मेक इन इंडिया’ को लेकर उत्साहित रहते हैं. वैसे ही ट्रंप ने ‘मेक इन अमेरिका’ की बात की है. वो चाहते हैं कि सब चीजें अमेरिका में बने, अमेरिकी उन्हें बनाएं और अमेरिकियों के लिए बनाएं.

ऐसे में, अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकियों और गैर-अमेरिकियों में ट्रंप को लेकर डर होना स्वाभाविक है. स्थानीय अमेरिकी कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रंप विदेशियों के वर्क परमिट को मुश्किल बनाएंगे और भारी भरकम टैक्स लगाएंगे तो इससे भारतीयों का तो नुकसान ही होगा.

ट्रंप से भारतीयों में अनिश्चितता

खेतान एंड कंपनी में एसोसिएट पार्टनर अंशुल प्रकाश कहते हैं, ‘हम सचमुच नहीं जानते हैं कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है.’ लेबर लॉ के एक्सपर्ट अंशुल प्रकाश के मुताबिक, ‘जिस तरह की उनकी नीतियां दिख रही हैं, उनसे भारत को तो कोई फायदा नहीं होगा. हालांकि वो विरोधाभासी बातें कह रहे हैं लेकिन इतना साफ है कि वो बस स्थानीय अमेरीकियों का संरक्षण चाहते हैं.’

संभावना तो हिलेरी क्लिंटन के जीतने की ही ज्यादा बताई जा रही है, लेकिन अगर कोई उलटफेर हो गया तो ये न सिर्फ अमेरीकियों के लिए, बल्कि वहां रहने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए भी अनिश्चितता और चिंता का कारण होगा.

ट्रंप एच1-बी वीजा पर पाबंदियां लगाने की बात पहले ही कह चुके हैं. भारत ही नहीं बहुत सी अमेरिकी कंपनियां भी उनसे डरी हुई है क्योंकि ट्रंप ने कहा कि वो किसी हालत में नौकरियां अमेरिका से बाहर नहीं ले जाने देंगे.

ट्रंप ने अपने एक भाषण में कहा कि अगर कोई कंपनी अमेरिका छोड़ कर किसी और देश में जाना चाहती है तो उससे 35 प्रतिशत टैक्स वसूलेंगे. ट्रंप को उन लोगों की कोई परवाह नही है जो अमेरिका में नौकरी हासिल करने के जी जान लगा देते हैं और न ही ऐसी कंपनियों की, जो अमेरिका से बाहर के लोगों को नौकरियां देती हैं. वो तो ऐसे लोगों को चोर कहते हैं. ट्रंप के मुताबिक भारत और चीन अमेरिका से नौकरियां चोरी करने वाले सबसे बड़े चोर हैं.

ट्रंप ने कहा, जब से चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना है, अमेरिका की 70 हजार फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं. भारत, सिंगापुर और मेक्सिको में नौकरियां चले जाने की भी वो इसी तरह आलोचना कर चुके हैं.

कुल मिलाकर ट्रंप राज ठाकरे और मोदी की तरह की नजर आते हैं जिन्होंने जमकर ‘अमेरिका मानुष’ और ‘मेक इन अमेरिका’ तर्ज वाली राजनीति की है. इसलिए अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने तो ये भारत के लिए बिल्कुल अच्छी खबर नहीं होगी.