सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शराब कारोबारी विजय माल्या ने ब्रिटिश फर्म डियाजियो से मिले 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर अपने बच्चों के नाम ट्रांसफर कर दिया है. माल्या की इस हरकत का मकसद इस रकम को अदालती पचड़ों से दूर रखने का है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि माल्या को डियाजियो से जो रकम मिली थी वह पूरी तरह न्यायिक आदेशों के दायरे में आते थे.
अदालत ने अगले आदेश तक माल्या को कोई भी चल और अचल संपत्ति ट्रांसफर ना करने का आदेश दिया था.
उल्लंघन का दायरा बढ़ा
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने कहा कि ये स्पष्टीकरण कि ये धनराशि ट्रस्ट को हस्तांतरित हो चुकी है और अब इस पर माल्या का कोई नियंत्रण नहीं है, वास्तव में उल्लंघन के दायरे को और गंभीर बनाता है.
ये स्पष्ट है कि ये धन जिस पर माल्या का नियंत्रण था उसे अब अदालत की प्रक्रियाओं की पहुंच से दूर ले जाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि ये मालया की मंशा को दर्शाता है.
पीठ ने कहा कि हमने माल्या से कम से कम ये अपेक्षा थी कि 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर मिलने और उसके वितरण से संबंधित तथ्यों का खुलासा किया जाता.
पीठ के समक्ष पेश हुई डिटेल के अनुसार, ये रकम माल्या के निर्देश पर फरवरी 2016 में उनके बच्चों सिद्धार्थ माल्या, लीना माल्या और तान्या माल्या में बराबर रूप से हस्तांतरित की गई थी.
माल्या के वकील ने इससे पहले न्यायालय को सूचित किया था कि दियागो से मिला धन उनका नहीं बल्कि उनके बच्चों का है.