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तीसरे विश्वयुद्ध की आहट - अमेरिका की चीन को चेतावनी

अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा है कि साउथ चाइना सी को चीन अपनी जागीर नहीं समझे.

Kinshuk Praval

साउथ चाइना सी पर चीन और अमेरिका के बीच टकराव बढ़ने की आशंका गहरा गई है. अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा है कि साउथ चाइना सी को चीन अपनी जागीर नहीं समझे. साउथ चाइना सी पर दुनिया का अधिकार है.

व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी शॉन माइकल स्पाइसर ने कहा कि 'साउथ चाइना सी पर बने द्वीपों पर पूरी दुनिया का हक है. केवल चीन ही साउथ चाइना सी पर अपना दावा नहीं कर सकता. अमेरिका इस बात का भरोसा दिलाता है कि साउथ चाइना सी पर वही अंतर्राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करेगा.'


इससे पहले विदेश मंत्री पद के दावेदार माने जा रहे रेक्स टिलरसन ने साउथ चाइना सी के विवादित द्वीपों पर चीन के कब्जे को गैरकानूनी बताया था.

टिलरसन ने चीन को खरी-खरी सुनाते हुए कहा था कि 'चीन विवादित द्वीपों पर   बेस बनाना बंद करे और उसे उन आइलैंड्स पर जाने की इजाजत भी नहीं मिलनी चाहिये.'

क्या कहता है इंटरनेशनल कोर्ट ?

दक्षिण चीन सागर पर अध‍िकार को लेकर इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल (हेग ट्रिब्यूनल) ने चीन को दावे को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि साउथ चाइना सी पर चीन का दावा ऐतिहासिक रूप से गलत है. इसके बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ASEAN समिट में कहा था कि चीन को कोर्ट के फैसले को मानना ही पड़ेगा.

साउथ चाइना सी पर चीन का 90 प्रतिशत कब्जा

इससे पहले साल 2013 में साउथ चाइना सी में चीन के खिलाफ फिलीपीन्स ने इंटरनेशनल कोर्ट में केस दायर किया था. फिलीपींस का दावा है कि साउथ चाइना सी पर चीन 90 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर चुका है.

लेकिन कोर्ट के फैसले के बावजूद चीन ने विवादित द्वीपों पर सैन्य अड्डे बना कर अपने इरादे साफ कर दिये थे.

चीन ने बनाया आर्टिफिशियल आइलैंड

पिछले साल दिसंबर में साउथ चाइना सी में चीन ने एयरक्राफ्ट कैरियर के अलावा पांच जंगी जहाज भेज दिए. पानी में डूबे रीफ एरिया को आर्टिफिशियल आइलैंड में बदलकर सेना और सैन्य उपकरणों की तैनाती शुरु कर दी. इतना ही नहीं चीन ने साफ धमकी दी कि अगर अमेरिका ने साउथ चाइना सी के मामले में गलती की तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. जबकि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक सिर्फ आर्टिफिशियल आइलैंड बनाने से किसी देश को उसकी टेरिटरी लिमिट करने की इजाजत नहीं मिल जाती है.

35 लाख वर्ग किमी तक फैला साउथ चाइना सी 

साउथ चाइना सी पूर्वी एशियाई देशों के बीच कई दशकों से तनाव की वजह बना हुआ है. साउथ चाइना सी प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है जो सिंगापुर और मलक्का जलडमरू से लेकर ताइवान जलडमरू तक 35 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है. चीन के दक्षिण से ताइवान द्वीप तक और मलेशिया के उत्तर पश्चिम से ब्रुनेई तक, इंडोनेशिया के उत्तर में, मलेशिया और सिंगापुर के उत्तर-पूर्व में और वियतनाम के पूर्व में स्थित है यह समुद्री इलाका है.

दक्षिण पूर्वी एशियन देशों से घिरे साउथ चाइना सी पर चीन, ताइवान, फिलीपीन्स, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम दावा करते हैं. साउथ चाइना सी पर बने कई द्वीपों पर वियतनाम फिलीपींस मलेशिया अपना दावा करते हैं. करीब 35 लाख स्क्वेयर किलोमीटर का इलाका विवादित है.

साउथ चाइना सी के रास्ते 7 ट्रिलियन का कारोबार

साउथ चाइना सी के जिन इलाकों पर चीन अपना दावा कर रहा है वहां दरअसल तेल और गैस के अकूत भंडार मौजूद हैं. अमेरिका के मुताबिक इस इलाके में 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नैचुरल गैस का भंडार है. दुनिया के करीब आधे व्यापारिक जहाज इसी इलाके से गुजरते हैं जिसके जरिये हर साल 7 ट्रिलियन डॉलर का बिजनेस होता है.

क्या साउथ चाइना सी से छिड़ेगा तीसरा विश्वयुद्ध ?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को लेकर अपने तीखे तेवर पहले ही दिखा चुके हैं. चीन के साथ अमेरिका की 'वन चाइना पॉलिसी' पर उन्होंने सवाल उठाया. अब 'साउथ चाइना सी' पर अमेरिका की वार्निंग डोनाल्ड ट्रंप के तेवरों की तरफ इशारा कर रही है. ऐसे में साउथ चाइना सी पर आपसी हितों के टकराव तीसरे विश्व युद्ध का अलार्म बजा सकते हैं.