अमेरिका ने एच1बी वीजा पर चिंतित भारत को कहा कि अमेरिका में थोड़े समय के लिए आने वाले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए यह वीजा नियम लागू नहीं होगा. यह पॉलिसी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन पॉलिसी के बड़े एजेंडे का एक हिस्सा है.
यह बयान ऐसे समय आया है जब यह चर्चा है कि डोनाल्ड ट्रंप सरकार यहां की कंपनियों को एच1बी वीजा पर बाहरी कर्मचारियों को रखने के लिए रोक लगा सकती है.
अमेरिकी संसद में सत्ता और विपक्ष के मिले जुले सदस्यों के एक समूह ने एच1बी और एल1 वीजा नियमों में सुधार के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया है. इस समूह में भारतीय मूल के सदस्य रो खन्ना भी शामिल हैं.
अमेरिका आईं भारत की विजिटिंग कॉमर्स सेक्रटरी रीता तेवतिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि अमेरिका में भारतीय टेक्नोलॉजी को स्वीकार किया जाता है. उन्हें इमिग्रेशन को लेकर चिंता है. ज्यादातर मुद्दे बिल्कुल अलग हैं.’
उन्होंने कहा कि फिर भी ‘जब इसके बारे में कुछ किया जाएगा तो वह पूरे इमिग्रेशन संबंधी पैकेज का हिस्सा होगा.’
तेवतिया इस समय अमेरिका की नई सरकार के बड़े अधिकारियों और प्रमुख सांसदों के बातचीत के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर के साथ अमेरिका की यात्रा पर हैं.
एच1बी वीजा नियमों में बदलाव से भारत चिंतित
भारत अपने आईटी प्रोफेशन में लोकप्रिय एच1बी वीजा नियमों में प्रस्तावित बदलावों के मुद्दे को बड़ी गंभीरता से ले रहा है. क्योंकि अमेरिका भारतीय आईटी एवं साफ्टवेयर सर्विसेस का प्रमुख बाजार है. कंपनियां यहां आन साइट काम के लिए कर्मचारियों को थोड़े समय के लिए रोजगार वीजा पर बुलाती है.
भारतीय अधिकारियों ने यहां अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलियम रॉस, आंतरिक सुरक्षा मंत्री जॉन केली और प्रमुख सांसदों से अपनी मुलाकात में कहा एच1बी वीजा सर्विस बिजनेस वीजा की ऐसी श्रेणी है जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सच में अधिक लाभ होता है. क्योंकि इससे कंपटीशन की क्षमता बढती है.
खन्ना और अन्य सदस्यों द्वारा प्रस्तुत एच1बी और एल-1 वीजा सुधार अधिनियम 2017 के प्रस्ताव में पुराने नियमों की कमजोरियां संशोधित कर अमेरिकी कर्मचारियों और वीजाधारकों दोनों के हितों की रक्षा किए जाने की बात है.