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खशोगी की हत्या के खुलासे पर किसकी सुनेंगे ट्रंप? सऊदी से संबंध बचाएंगे या एक्शन लेंगे?

इस पूरे घटनाक्रम पर बच-बचाकर बोलने वाले ट्रंप को अब इस आखिरी दुविधा से उभरना ही होगा

FP Staff

सऊदी अरब के साथ अपनी दोस्ती का दम भरने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति अब दुविधा में फंसे हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के लिए काम करने वाले पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में सऊदी अरब का हाथ होने की बात सामने आने के बाद अब उनके सामने सवाल है कि वह अमेरिका के करीबी सहयोगी के साथ अपने संबंध को बचाएं या फिर हत्या के बारे में रियाद की बात को स्वीकार कर लें.

वह समझ नहीं पा रहे कि क्या संबंधों के ताक पर रखने का जोखिम उठाकर वह सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के इस निष्कर्ष को स्वीकार कर लें कि सऊदी अरब के वली अहद मोहम्मद बिन सलमान ने ही इस हत्या का आदेश दिया था.


खशोगी की इस्तांबुल में सऊदी अरब के दूतावास में दो अक्टूबर को हत्या के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति वली अहद मोहम्मद बिन सलमान पर हमला बोलने से बचते रहे हैं. उन्होंने अभी तक खशोगी की हत्या का वो टेप भी नहीं सुना है. न्यूज24 की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा है कि उन्हें उस नृशंस हत्या के टेप को सुनने की जरूरत नहीं है. वो टेप सुने बिना ही जानते हैं कि घटनाक्रम क्या है.

अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सऊदी अरब के अभियोजक ने 21 संदिग्धों की गिरफ्तारी और 11 के खिलाफ आरोपों की घोषणा की थी. साथ ही उसने कहा था कि उनमें से पांच को मौत की सजा हो सकती है.

इसी के साथ वॉशिंगटन ने वली अहद के दो शीर्ष सहयोगियों समेत हत्या में शामिल 17 सऊदी लोगों पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी.

दोनों ही पक्षों की ओर से इस साजिश के मास्टरमाइंड का नाम नहीं लिया गया है लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सीआईए को यह विश्वास है कि इसके पीछे वली अहद ही हैं.

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर बच-बचाकर बोलने वाले ट्रंप को अब इस आखिरी दुविधा से उभरना ही होगा. वैसे भी उनके बारे में ये सवाल ज्यादा मायने इसलिए रखते हैं क्योंकि अमेरिकी चुनावों में रूसी हस्तक्षेप को लेकर वो अपनी ही सुरक्षा एजेंसी सीआईए की रिपोर्ट तक को अप्रत्यक्ष रूप से नकार चुके हैं और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को क्लीन चिट दे चुके हैं. इसलिए ये देखना अहम होगा कि इस बार ट्रंप अपनी किस प्राथमिकता को ऊपर रखते हैं.

(एजेंसी से इनपुट के साथ)