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श्रीलंका में जारी राजनीतिक उथल-पुथल पर UN महासचिव ने जताई चिंता

श्रीलंका का राजनीतिक संकट शुक्रवार को उस वक्त और बढ़ गया जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने संसद को शुक्रवार आधी रात से भंग कर दिया और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा कर दी

FP Staff

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के देश की संसद भंग करने के फैसले पर चिंता जताई है. उन्होंने श्रीलंका में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करने और कानून के अनुसार विवाद हल करने के महत्व पर जोर दिया.

दरअसल श्रीलंका का राजनीतिक संकट शुक्रवार को उस वक्त और बढ़ गया जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने संसद को शुक्रवार आधी रात से भंग कर दिया और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा कर दी, क्योंकि यह लगने लगा था कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को सदन में पर्याप्त समर्थन नहीं मिलेगा.


महासचिव गुतारेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने शनिवार को बताया कि महासचिव ने सिरिसेना के श्रीलंका की संसद को भंग करने और समय से पहले ही संसदीय चुनाव कराने के फैसले को लेकर चिंता व्यक्त की है.

उन्होंने एक बार फिर से श्रीलंकाई सरकार से सभी देशवासियों के लिए शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानवाधिकार, न्याय और सुलह के प्रति अपनी वचनबद्धता को बनाए रखने की अपील की है.

इससे पहले श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था. इस घटना से श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल के हालात पैदा हो गए, जिसके कारण पूरा देश घोर राजनीतिक संकट में फंस गया है. इन सब के बीच सिरिसेना के इस कदम ने एक बार पिर हंगामा मचा दिया है.

गजट नोटिस के अनुसार 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच इस चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरे जाएंगे और चुनाव 5 जनवरी 2019 को होंगे. इसके बाद नए संसद की बैठक 17 जनवरी को बुलाई जाएगी.

आधी रात का ये फैसला 19वें संशोधन के हिसाब से असंवैधानिक है

विश्लेषकों का मानना है कि आधी रात का ये फैसला 19वें संशोधन के हिसाब से असंवैधानिक है. 19 वें संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले प्रधानमंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकते या संसद को भंग नहीं कर सकते हैं. इन सब के बीच विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने एक बयान में कहा है कि हम संसद को भंग करने के फैसले का जोरदार तरीके से विरोध करते हैं. उन्होंने लोगों से उनके अधिकार छीन लिए हैं. राजनीतिक दलों ने कहा कि सिरिसेना द्वारा 225 सदस्यों वाले संसद को भंग करने के फैसले के बाद देश में नए सिरे से संसदीय चुनाव अगले साल जनवरी में कराए जा सकते हैं. हालांकि इसका कार्यकाल अगस्त 2020 में पूरा होना था.

(भाषा से इनपुट)